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पूर्वांचल के बाद अब पश्चिमांचल में भी चरमराई सपा ! _________________

20-01-2022 08:19:41 AM


पूर्वांचल का गणित बैठाने में नाकाम अखिलेश यादव और उनकी समाजवादी पार्टी पश्चिमांचल में भी दरकती नजर आ रही । जाट सीटों पर रालोद के जयंत चौधरी को लेकर अखिलेश यादव न खेल खेला और जयंत चौधरी को जो चौदह सीट दी उसमे भी जाट आरक्षण का हवाला देकर केवल पांच सीटों पर ही जाटों को टिकट दिया गया है । शेष जयंत चौधरी के  खाते के नौ सीटों पर  मुसलमान कैंडिडेट उतरवा कर अखिलेश यादव ने रालोद को भी चुना लगाया  । जाटों पर वार और आजम से प्यार  करके सपा ने चुनाव को पूरी तरह योगी आदित्यनाथ जी के पक्ष में मोड़ दिया है । अखिलेश यादव का ब्राह्मण कार्ड भी अंतिम समय में ध्वस्त हो गया क्योंकि अचानक ब्राह्मण समाज ने यू टर्न मार लिया और पूरी तरह भगवामय हो गए । वैसे भी जो पार्टी जेल में बैठे अपराधी और कुख्यात  आजम खां और उनके बेटे को टिकट देगी उस पार्टी के साथ ब्राह्मण कभी नही जुड़ेंगे और तो  और  जिस पार्टी में सहयोगी के रूप में ओमप्रकाश राजभर और शिवपाल यादव जैसे  नेता होंगे जनता ऐसी पार्टी का साथ क्यों देगी ! सपा कुछ दिन पहले तक तो बढ़त में थी पर उसके घमंडी ब्राह्मण नेताओं ने सपा का ही जड़ खोद डाला । पूर्वांचल का जनाधार तो एक सिरे से योगीमय हो गया है , सपा को शायद दो चार सीट मिल जाए नहीं तो खुद अखिलेश यादव को आजमगढ़ से विधानसभा में उतरने की जरूरत नही पड़ती । पश्चिम यूपी में भी अब  सारे अनुमान फेल होंते नजर आ रहे । अखिलेश की गलती से जाट नाराज है और  अब जाटों के सपोर्ट से गदगद  हुई जा रही बीजेपी । भाजपा  विरोधी पत्रकार है  अजित अंजुम जो  अपने एक  यूट्यूब वीडियो में बता रहे हैं कि मेरठ के सिवालखास में जाटों ने रालोद का झंडा ही जला दिया । अखिलेश और जयंत के गठबंधन में टिकट वितरण से जाटों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है 
                      पश्चिमी  यूपी की 58 सीटों पर पहले चरण के लिए 10 फरवरी को मतदान होना है अखिलेश ने जयंत को 32 सीटें दी तो है  लेकिन इनमें से  8 सीटें ऐसी हैं जहां पर अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता और नेता को लड़ा दिया है ।  यानी रालोद के चुनाव चिह्न हैंडपंप पर अखिलेश ने अपने समर्थकों को उतार दिया है ।  जाट बिरादरी ने इसे अपने दिल पर ले लिया है ।अखिलेश ने जो छल कभी अपने कुनबे में दिखाया वही अब जयंत चौधरी के साथ भी कर रहे । इस  सयानेपन से जाट स्वाभिमान काफी ज्यादा आहत है । बात ऐसे समझिए की  मेरठ की सिवालखास सीट पर अखिलेश ने अपने करीबी गुलाम मोहम्मद को खड़ा किया , गुलाम मोहम्मद को लेकर जाटों में भारी आक्रोश है क्योंकि बहुत सारे जाट गुलाम मोहम्मद को एक सांप्रदायिक व्यक्ति मानते हैं । सपा साम्प्रदायिक ताकतों की हिमायती रही है और आजम को टिकट देना इस बात का पुख्ता सबूत है ,जिसके कारण ब्राह्मण वोटर हाथ से निकल गए । अब इस वक्त की स्थिति ये है कि जाट रालोद के टिकट पर खड़े किए गए मुस्लिम कैंडिडेट को वोट नहीं करेंगे और इसकी जगह क्रॉस वोटिंग होंगी ।बीजेपी ने पहले चरण में 17 जाट प्रत्याशी उतारे हैं ,जबकि जाटों के नाम पर राजनीति करने वाली रालोद  ने सिर्फ 9 जाटों को टिकट दिया है । जयंत चौधरी नौशीखिए है । टीवी चैनलों पर टिकैत परिवार और उनके समर्थकों ने ये प्रोपागेंडा चलाया कि वेस्ट यूपी की सीटों पर जाट किसान बीजेपी से नाराज हैं इस प्रोपागेंडा को जिहादी गैंग ने विस्तृत रूप देकर राष्ट्रव्यापी अभियान में बदल दिया।लेकिन सच्चाई ये है कि जमीन पर लॉ एंड ऑर्डर की बेहतरी की वजह से माहौल बीजेपी के पक्ष में बना हुआ है । गन्ने का भुगतान भी मायावती और अखिलेश के 10 सालों में 95 हजार करोड हुए था लेकिन योगी जी ने 5 साल में अकेले ही एक लाख करोड़ का भुगतान करके जाटों को अपने पाले में कर लिया । इसके अलावा एक सच्चाई ये भी की  मुजफ्फरनगर का दंगा जिसमें 2013 में कवाल में दो मुस्लिम युवकों ने एक जाट लड़की के साथ छेड़खानी की थी ,उसके दो भाइयों ने विरोध किया तो मुसमलानों ने दोनों का चाकुओं से गोदकर कत्ल कर दिया था । आजम खान ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके किसी भी मुसमलान को गिरफ्तार नहीं होने दिया उल्टा अखिलेश यादव ने जाट लड़कों को ही सलाखों के पीछे कैद करवा दिया था । जो जाट वोटरों को कुरेदता रहता है ।तब भाजपाई भगवा वाहक  सुरेश राणा और संजीव बालियान जैसे नेताओं ने ही उग्र विरोध करके सबको रिहा करवाया था ।इन बातों को अब भी जाट समुदाय भूला नहीं है , इसका असर ये हुआ था कि 2017 में  मुजफ्फरनगर की सभी 6 सीटें बीजेपी ने जीत ली थी ।  आज की स्थिति ये है कि इस वक्त भी मुजफ्फरनगर की 4 सीटें बीजेपी क्लीयर कट जीत रही है और बाकी अन्य सीटों पर असर डाल रही । राष्ट्रीय जाट महासंघ के अध्यक्ष रोहित झाखड़ ने भी कहा है कि जिस तरह जयंत अखिलेश के सामने झुके हैं ये दुखद है । कुल मिलाकर अखिलेश यादव  ने अपनो को ही छल लेने वाले अपने पुराने खड़यंत्र के खेल में बड़ी गलती कर दी है और पहले चरण से ही योगी जी बहुत भारी भरकम बढ़त लेने नजर आ रहें हैं। राजनीति के बिसात पर लगातार मोहरें चली जा रही । कभी सपा की तरफ से प्यादें तो कभी घोड़े दौड़ाए जा रहें थे और उधर भाजपा ने एक ही चाल में  रानी  उड़ा दी । सौ सुनार की तो एक लूहार की  । समाजवादी समर्थक भूल गए थे की भाजपा में ऐसे - ऐसे चाणक्य भरे पड़े है जो जुबान से नही कर्म से जवाब देते है । कुछ सपाई सोशल मीडिया पर कुछ दिन पहले तक लहालोट थे क्योंकि अवसरवादी नेताओं की एक लंबी जमात जिसके मुखिया  स्वामी प्रसाद मौर्य जी है उनके  समेत कुछ मंत्री और विधायक भाजपा के खेमें से निकल कर सपा के खेमे आ गए थे किंतु अचानक बुधवार को सपा समर्थकों को सांप सूंघ गया । जैसे ही समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव की बहु अपर्णा यादव ने भाजपा ज्वाइन की ,सोशल मीडिया पर सपा के समर्थकों के जुबान पर फेविकोल लग गया । कुछ एक ढिंढ टाईप के लाल पगड़ी धारी जबरिया बचाव दलीले दे तो रहे थे पर वो दलीले केवल अपने मन को सन्तोष देने जैसे थी । भाजपा ने भारतीय राजनीति की दशा और दिशा दोनो बदल दी है । चुनाव से कुछ दिन पहले जो सपा हवा बना रही थी उसे रोकने में भाजपा को थोड़ी भी मेहनत नहीं करनी पड़ी । भाजपाई समर्थकों के आगे सपा के चिल्लर पार्टी बेबस नजर आ रहे अब । भाजपा ने फिर से बहुत बड़ा मंच सेट कर लिया है । चुनावी आंकड़े और एक्जिट पोल बता रहे की योगी आदित्यनाथ की सरकार पूरे दम खम और अधिक मजबूती से वापसी करने जा रही । अखिलेश यादव ने ब्राह्मणों को लेकर को राजनीतिक पैंतरा चला था वो भी परशुराम भगवान के फरसा गिरने के बाद गिर कर चूर चूर हो गया । ब्राह्मणों की एक बड़ी लॉबी खुल कर भाजपा के साथ खड़ी हो गई और अब पूरा ब्राह्मण समाज योगी आदित्यनाथ जी का जयकारा लगा रहा । वैसे फागुन आ रहा तो भाजपाइयों को भौजाई की जरूरत थी और वो जरूरत पूरा करने के लिए भाजपा ने सपा को ऐसा धोबी पछाड़ मारा है की सब सन्न है । खैर अपर्णा यादव की घर वापसी होगी इसमें कोई दो राय नहीं किंतु यह भी उतना ही सत्य है की इस बार उत्तर प्रदेश में फिर से भगवा लहराने जा रहा क्योंकि भाजपा का वोट प्रतिशत और जनाधार दोनो बढ़ा है ।
              
              ___ पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर ।


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