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देश के युवा टूल किट और उनका मानसिक दोहन !

10-02-2022 08:39:03 PM


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देश में हर रोज युवा टूल किट तैयार किए जाते है जिन्हे बकायदा अराजकता फैलाने की ट्रेनिंग दी जाती है।  धार्मिक पहनावें के नाम पर फैल रही अराजकता के लिए जिम्मेदार राजनीतिक पार्टियां ही है पर शिक्षण संस्थाओं ने ड्रेस कोड को ही प्राथमिकता मिलनी चाहिए भले आप बाहर अन्य कही कुछ भी पहनने को स्वतंत्र हो । शिक्षण संस्थान शरीयत , हिंतदुत्व और बौद्धिज्म से नही चलते उनका अपना बायलॉज है । महिलाएं बिकिनी पहनें या फिर घूंघट या हिजाब उन्हें कौन रोक रहा है? आप जिस स्कूल या कॉलेज में पढ़ी होंगी वहां अगर कोई यूनिफॉर्म ड्रेस कोड लागू था तो क्या आपने उसका उल्लंघन किया था? कभी अपनी धार्मिक मान्यताओं का आगे रखकर जिद्द की थी और क्लास के बाहर धरने पर बैठी थीं। क्या आपको इसकी जगह यह नहीं बोलना चाहिए कि यह मामला कोर्ट में है और कोर्ट निर्णय करें। शैक्षणिक संस्थानों के भीतर हिजाब और बुर्का पहनने को महिलाओं के पहनावे के अधिकार से जोड़कर कर्नाटक विवाद का समर्थन करने वाले असल में मोदी सरकार और संघ एवं दक्षिणपंथी विचारधारा का विरोध कर रहे हैं। जबकि यह पूरा मामला कॉलेज यूनिफॉर्म कोड के नियमों का उल्लंघन कर अपनी धार्मिक मान्यताओं को सर्वोपरी रखकर क्लास में हिजाब पहनकर बैठने का अधिकार मांगने एवं जिद्द का है। इस पूरे मामले को समझने के लिए बस एक वीडियो देखकर हिंदुओं को गाली मत दीजिए। भ्रमित मत होइये कुछ वामपंथियों, नव-युवा चरमपंथी वामपंथियों और नारीवादियों का काम ही है हर मामले में हिंदुओं का गाली देना और बिना संदर्भ के जो मन में आये लिख देना। पूरा मामला ऐसे समझिये और इन लोगों की आंखें भी खोलिये। यह मामला 31 दिसंबर से चल रहा है और पीएफआई के स्टूडेंट विंग से जुड़ी 6 छात्राएं क्लास के भीतर हिजाब पहनकर बैठने पर आमादा थी जबकि कॉलेज में दाखिला लेते वक्त उनको नियम बता दिया गया था और उनमें से किसी ने भी इस पर कोई आपत्ति नहीं जताई थी। फिर अचानक से उनको ऐसा क्या सूझा कि क्लास के अंदर हिजाब पहनकर बैठने पर आमादा हो गईं? यह विचारणीय सवाल है। छह की जगह अब आठ छात्राएं हो गई जिन्होंने कसम खा ली कि वह हिजाब पहनकर ही क्लास अटेंड करेंगी। यहां यह बात भी ध्यान रखने की है कि इन मुस्लिम लड़कियों को कॉलेज के भीतर हिजाब या बुर्का पहनकर आने से नहीं रोका गया था। अब यहां से आगे देखिये 19 जनवरी को इस मामले को शांत करने के लिए अडुपी कॉलेज ने लड़कियों को क्लास में हिजाब पहनकर बैठने की अनुमति दे दी लेकिन यह कहा गया कि जैसे ही क्लास में शिक्षक आएंगे और कक्षा शुरू होगी उनको हिजाब उतारना होगा। अगर वे इससे भी सहमत नहीं होती हैं तो सरकारी आदेश का इंतजार किया जाएगा। 25 जनवरी को कर्नाटक सरकार ने एक एक्सपर्ट कमेटी बैठाई और इस पर कमेटी मुस्लिम लीडर और इन लड़कियों के घर वालों से बात करने लगे कि कैसे इस क्राइसेस को खत्म किया जाए। इस दौरान कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने लड़कियों के मांग का समर्थन करना जारी रखा। इस मामले में स्थानीय विधायक रघुपति भट्ट भी कूद गये और उन्होंने कहा कि हिजाब पहनकर क्लास में बैठने वाली लड़कियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। 31 जनवरी को ही गर्ल्स पीयू कॉलेज की 5 मुस्लिम लड़कियां हाईकोर्ट चले गई।
इसके बाद 2 फरवरी को दूसरे सरकारी कॉलेज की 28 मुस्लिम लड़कियां भी हिजाब के समर्थन में उतर आईं और पहनकर कॉलेज आ गईं और 50 लड़के भी भगवा गमछा डालकर आ गये। धीरे-धीरे यह मामला हिजाब बनाम भगवा गमछा बन गया और अब इसमें नीला गमछा भी कूद गया है। यानी की अब अंबेडकरवादी भी आ गये हैं ...मामले को और ज्यादा तूल देने के लिए। अब एक तरफ मुस्लिम लड़कियां और लड़के मुस्लिम धर्म की मान्यताओं के साथ आ खड़े हुए वहीं दूसरी तरफ हिंदू लड़के भगवा साफे और सॉल के साथ आने लगे। मजबूरन सरकार को तीन दिन के लिए स्कूल कॉलेज बंद करने पड़े । देश की संस्कृति के साथ खिलवाड़ करना इन  बेशर्म युवा टूल किट का बहुत पुराना शगल रहा है । तेजी से मशहूर होने के नायब तरीका ढूंढ रहे ये युवा ऐसे  आधुनिक टूल किट है जो  जेएनयू और एएमयू जैसे शिक्षण  संस्थाओं से प्रेरित होते है । कल को अगर देश भर में  मुस्लिम हिजाब पहन कर स्कूल जायेंगे ,खासी, गारो, जयंती, गरासिया , भील , छत्तीसगढ बस्तर की जनजाति की लड़किया अपनी पारंपरिक पोशाक पहन कर स्कूल जायेंगे,आर एस एस वाले खाकी निक्कर पहनेंगे,कांग्रेसी गाँधी टोपी पहन कर स्कूल जायेंगे ,दिगंबर जैन जो मैं खुद हूँ । कुछ बोलूंगा तो बवाल हो जायेगा,क्रिश्चन गाउन पहन कर स्कूल जायेंगे ,जारवा जनजाती की लड़कियाँ अर्द्ध नग्न हो कर स्कूल जायेंगी,स्कूल और कॉलेज मुस्लिम लड़कियों को कक्षा में हिजाब नहीं पहनने का आदेश दे सकते हैं, इस पर एक निर्णय बुधवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा एक बड़ी बेंच पर पारित किया गया, धार्मिक हेडस्कार्व पहनने के अधिकार पर एक दिन बाद, मजबूर  राष्ट्रीय संस्थान बंद करने के लिए तीन दिन के लिए। "ये मामले व्यक्तिगत कानून के कुछ पहलुओं के मद्देनजर सेमिनल महत्व के कुछ संवैधानिक प्रश्नों को बढ़ाते हैं," मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीश ने कहा, यह न्यायाधीशों के एक पैनल को उल्लेखित करते हुए कहा कि कर्नाटक उच्च सह के मुख्य न्यायाधीश के नेतृत्व में किया जाएगा उर्ट ऋतु राज अवस्थी। न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित ने कहा, "महत्व के सवालों की दुश्मनी के मद्देनजर, अदालत का विचार है कि मुख्य न्यायाधीश को यह निर्णय लेना चाहिए कि क्या इस विषय में एक बड़ी बेंच गठित की जा सकती है,"न्यायमूर्ति कृष्ण दिक्षित ने कहा। उन्होंने कहा, "बेंच का यह भी विचार था कि अंतरिम प्रार्थनाओं को भी बड़ी बेंच के सामने रखा जाना चाहिए जो मुख्य न्यायाधीश अवस्थी द्वारा अपने विवेक का प्रयोग करते हुए गठित की जा सकती है," उडुपी जिले के सरकारी कॉलेजों में पढ़ने वाली मुस्लिम लड़कियों के एक समूह द्वारा कक्षाओं में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध के खिलाफ मामला दायर किया गया था। कर्नाटक में हेडस्कार्फ पर स्टैंडऑफ कई दिनों से तेज हो रहा है और मंगलवार को एक हिंसक मोड़ ले लिया, जिससे पुलिसकर्मियों को एक सरकार द्वारा संचालित परिसर में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस जलाने के लिए मजबूर किया गया, जबकि ने स्कूलों में भारी पुलिस उपस्थिति देखी गई थी। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने राज्य के सभी हाईस्कूलों को तीन दिन बंद रखने की घोषणा के बाद शांत रहने की अपील की। सरकार द्वारा संचालित एक हाई स्कूल के छात्रों को पिछले महीने हिजाब नहीं पहनने के लिए कहा गया था, एक एडिक्ट जो जल्द ही राज्य के अन्य शैक्षणिक संस्थानों में फैल गया था।
           _____ पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर ।


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