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अश्व प्रजाति के लिए जानलेवा है ग्लैण्डर्स एवं फार्सी रोग: सी.वी.ओ.

06-03-2021 11:12:50 AM

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बहराइच 05 मार्च। पशुपालन विभाग बहराइच के तत्वावधान में अश्वों मे पायी जाने वाली ग्लैण्डर्स एवं फार्सी बीमारी के सम्बन्ध में एस्कैड योजना अन्तर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र, बहराइच के सभागार में मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाॅ. बलवन्त सिंह की अध्यक्षता में जनपद स्तरीय प्रशिक्षण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। जिसमें जिले के सभी उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारी, पशु चिकित्साधिकारी एवं पशु धन प्रसार अधिकारी उपस्थिति रहे। 

प्रशिक्षण सत्र को सम्बोधित करते हुए मुख्य पशु चिकित्साधिकारी डाॅ. बलवन्त सिंह द्वारा बताया गया कि ग्लैण्डर्स एवं फार्सी बीमारी एक कन्टेजियस रोग है। सर्वप्रथम सन् 1881 में प्रथम बार घोड़ों में खोजा गया था। प्रमुख रूप से अश्वकुल (इक्वाइन) के पशुओं जैसे घोड़ों़े, खच्चर, टट्टू तथा गधों आदि में यह रोग होता है। अश्वों में यह एक्यूट एवं क्रनिक दोनो फार्म में होता है। यह रोग कुत्तों, बिल्ली व ऊटों को भी संक्रमित कर सकता है। यह रोग जूनोटिक प्रकृति का है, मनुष्यों में यह रोग ग्रस्त पशुओं से भी फैल सकता है। 

सी.वी.ओ. डाॅ. सिंह ने बताया कि इस रोग से फेफड़ों में गाठें पड़ जाती हंैं। ग्लैण्डर्स नेजल/पल्मोनरी या नोडयूलस के रूप में जिसमें त्वचा भी प्रभावित होती है, या दोनों फार्म एक साथ भी हो सकते हैं। ग्लैण्डर्स में निमोनिया जैसे लक्षण पाये जाते हैं जिसमें खाॅसी के साथ नाक से मवाद आना प्रारम्भ हो जाता है तथा अन्त में प्रभावित पशु की मृत्यु हो जाती है। इस रोग का कोई उपचार नहीं है। इस रोग से बचाव के लिए घोड़ो के अस्तबल, लगाम व जीन को जीवाणनाशक घोल से विसंक्रमित किया जाना चाहिए।

 डाॅ. सिंह सभी पशु चिकित्साधिकारियों को निर्देश दिया कि ग्लैण्डर्स एवं फार्सी बीमारी से बचाव के लिए प्रत्येक माह 05-05 अश्वों का सैम्पल भेजना सुनिश्चित करें। ताकि उन्हे राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र हिसार हरियाणा को टेस्टिंग हेतु भेजा जा सके। डाॅ. सिंह ने बताया कि अब तक जनपद से 150 सैम्पल लैब को भेजा जा चुके है, जिसमें से 07 नमूने धनात्मक पाये गये हंै। जिनमें से 06 पशुओं को दर्द रहित मृत्यु दी जा चुकी है। उन्होंने यह भी बताया कि मृत्यु के पश्चात् प्रति घोड़ा रू. 25000=00 तथा प्रति खच्चर/गधा रू. 16000=00 मुआवज़े के तौर पर दिये जाते हैं। प्रशिक्षण कार्यक्रम में मौजूद समस्त उप मुख्य पशु चिकित्साधिकारियों, पशु चिकित्साधिकारिया एवं पशु धन प्रसार अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि सतर्कता और सजगता बनाये रखें। कार्यक्रम के अन्त में अन्त में नोडल अधिकारी डाॅ. शिव कुमार रावत द्वारा अश्वों से सैम्पल लेने के तरीके एवं पैकिंग के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी गयी।

 

 

 ब्यूरो चीफ बहराइच लक्ष्मीकांत मिश्र।।

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