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अखण्ड भारत का महान शासक:पंडित पुष्यमित्र शुंग

16-05-2021 02:23:17 PM

राजा बृहद्रथ की सेना की कमान संभालने वाले ब्राह्मण सेनानायक पुष्यमित्र शुंग की सोच राजा से काफी अलग थी. जिस प्रकार बीते कुछ वर्षों में भारत की वैदिक सभ्यता का हनन हुआ था, उसे लेकर पुष्यमित्र के मन में विचार उठते रहते थे.

इसी बीच राजा के पास खबर आई कि कुछ ग्रीक शासक भारत पर आक्रमण करने की योजना बना रहे हैं. इन ग्रीक शासकों ने भारत विजय के लिए बौद्ध मठों के धर्म गुरुओं को अपने साथ मिला लिया था.

सरल शब्दों में कहा जाए तो, बौद्ध धर्म गुरु राजद्रोह कर रहे थे. भारत विजय की तैयारी शुरू हो गई. वह ग्रीक सैनिकों को भिक्षुओं के वेश में अपने मठों में पनाह देने लगे और हथियार छिपाने लगे.

ये खबर जैसे ही पुष्यमित्र शुंग को पता चली, उन्होंने राजा से बौद्ध मठों की तलाशी लेने की आज्ञा मांगी. मगर राजा ने पुष्यमित्र को आज्ञा देने से इनकार कर दिया.

इस दौरान सेनापति पुष्यमित्र राजा की आज्ञा के बिना ही अपने सैनिकों समेत मठों की जांच करने चले गए. जहां जांच के दौरान मठों से ग्रीक सैनिक पकड़े गए. इन्हें देखते ही मौत के घाट उतार दिया गया.

वहीं, उनका साथ देने वाले बौद्ध गुरुओं को राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर राज दरबार में पेश किया गया.

बृहद्रथ का वध कर पुष्यमित्र बने सम्राट-

बृहद्रथ को सेनापति पुष्यमित्र का यह बर्ताव अच्छा नहीं लगा. एक सैनिक परेड के दौरान ही राजा और सेनापति के बीच बहस छिड़ गई. बहस इतनी बढ़ गई कि राजा ने पुष्यमित्र पर हमला कर दिया, जिसके पलटवार में सेनापति ने बृहद्रथ से उसकी भाषा में जवाब देते हूये परास्त कर हत्या कर दी.

वहीं माना ये भी जाता है कि एक रात पुष्यमित्र को राजा बृहद्रथ ने अकेले दरबार में बुलाकर धोखे से मारना चाहा पर युद्ध में माहिर सेनापति ने तुरन्त तलवार निकाल कर अपनी रक्षा करते हूये राजा का संहार किया था.

बहरहाल, बृहद्रथ की वध हो चुकी थी. वध के बाद सेना ने वीर पुष्यमित्र का साथ दिया और उसे ही अपना राजा घोषित कर दिया.

राजा का पद संभालते ही पुष्यमित्र ने सबसे पहले राज्य प्रबंध में सुधार किया.

पुष्यमित्र शुंग अपंग हो चुके साम्राज्य को दोबारा से खड़ा करना चाहते थे. इसके लिए उन्होंने एक सुगठित सेना का निर्माण शुरू कर दिया.

पुष्यमित्र ने धीरे-धीरे उन सभी राज्यों को दोबारा से अपने साम्राज्य का हिस्सा बनाया, जो मौर्य वंश की कमजोरी के चलते इस साम्राज्य से अलग हो गए थे.

ऐसे सभी राज्यों को फिर से मगध के अधीन किया गया और मगध साम्राज्य का विस्तार किया.

इसके बाद पुष्यमित्र ने भारत में पैर पसार रहे ग्रीक शासकों को भारत से खदेड़ा. राजा ने ग्रीक सेना को सिंधु पार तक धकेल दिया. जिसके बाद वह दोबारा कभी भारत पर आक्रमण करने नहीं आए.

इस तरह राजा पुष्यमित्र ने भारत से ग्रीक सेना का पूरी तरह से सफाया कर दिया था.

भारत में वैदिक धर्म की पुन: स्थापना

दुश्मनों से आजादी पाने के बाद पुष्यमित्र शुंग ने भारत में शुंग वंश की शुरूआत की और भारत में दोबारा से वैदिक सभ्यता का विस्तार किया. इस दौरान जिन लोगों ने भय से बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया था, वह फिर से वैदिक धर्म की ओर लौटने लगे।

भारत में वैदिक धर्म के प्रचार और साम्राज्य की सीमा विस्तार के लिए पुष्यमित्र शुंग ने अश्वमेध यज्ञ भी किया था. भारत के अधिकतर हिस्से पर दोबारा से वैदिक धर्म की स्थापना हुई.

इस तरह से पूरे हिंदोस्तान में वैदिक धर्म की विजय पताका लहराने वाले पुष्यमित्र शुंग ने कुल मिलाकर 36 वर्षों तक शासन किया था.


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