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इजरायल के रुख से इस्लामिक देशों को झटका ! ______

16-05-2021 05:29:20 PM


अब लगता है औकात में आया हमास क्यूकी उसने अभी हाल ही में  इजराइल से युद्धविराम की अपील करके ये जता दिया कि आतंकवाद की उम्र लंबी नहीं होती ।जबकि वहीं  इजराइल ने कहा, तुम्हें तबाह करके छोड़ेंगे ! गाजा पट्टी में इजरायली सेना और फलिस्तीनी लड़ाकों के बीच गोलाबारी तेज हो गई है। सोमवार से अब तक कम से कम 65 फलिस्तीनी और छह इजरायल के नागरिक मारे गए हैं। इजराइली शहर अश्‍क्लॉन में कल हुए रॉकेट हमले में एक भारतीय महिला भी मारी गई। इजराइल द्वारा रॉकेट का जवाब मिसाइल से दिए जानें के बाद फिलिस्तीन का आतंकी संगठन हमास अपनी औकात में आ गया और युद्धविराम रोकने के लिए इजराइल के सामने गिड़गिड़ाने लगा, परन्तु इजराइल ने युद्धविराम रोकने से साफ़ इंकार कर दिया है ।मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हमास के वरिष्ठ नेता मौसा अबू मरजूक ने गुट के 9 कमांडरों के मरने के बाद रूसी विदेश मंत्री (मध्य पूर्व के मुद्दों को देखने वाले) मिखाइल बोगदानोव से फोन पर युद्ध विराम का प्रस्ताव रखा था। परन्तु इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हमास का प्रस्ताव ठुकरा दिया और कहा कि आने वाले 6 महीने या साल भर में वे कुछ ऐसा करेंगे जो उन्होंने अब तक नहीं किया। यानि हमास को तबाह करके छोड़ेंगे ताकि दोबारा इजराइल की तरफ हमास आँख उठाकर देखने की जुर्रत न कर सके ।एक लोकल समाचार साइट से इजराइल के एक कैबिनेट मंत्री ने कहा, “हमारे हर निशाने पर हमला बोलने के बाद यदि उन लोगों ने सरेंडर नहीं किया तो हम ग्राउंड ऑपरेशन लॉन्च करेंगे।” संघर्ष शुरू ​होने के बाद से इजरायल पर 1600 से ज्यादा रॉकेट दागे गए हैं। जवाब में गाजा में करीब 600 ठिकानों को इजरायली सेना अब तक निशाना बना चुकी है।
              फिलीस्तीन के तगड़े उग्रवाद और हमास के आतंकवाद  पर इजरायल लगातार आक्रमक रुख अपनाए हुए है, ऐसे में जहां भारतीय सेक्यूलरों ने इजरायल को नसीहते देना शुरू किया है वहीं कुछ भारतीय चाटुकारों ने इजरायल की कड़े शब्दों में निंदा भी की है, वहीं कुछ भारतीय  दलित चिंतकों ने तो हमास के जयकारे तक लगा दिए क्युकी उनका मानना है कि इजरायल दलित आवाज दबा रहा । ऐसे दलित चिंतकों को मै बस यही कहना चाहूंगा कि फिलिस्तीन के लिए ज्यादा परेशान मत होइए, क्योंकि फिलिस्तीन भी इज़राइल से  ज्यादा तुम जैसे दलित चिंतकों से परेशान रहा है और आज अंजाम भुगत रहा ।फिलिस्तीनी मौत के खौफ़ से परेशान भी है  और  घबराये हुए भी है अब मदद मांगने को छटपटा रहे । दुनिया के सबसे बड़े शैतान को कंकरी मारने की हिमाक़त करने की सजा सभी इस्लामिक देशों को भुगतना पड़ा है तो ऐसे में फिलीस्तीन कैसे छूट जाता  । मै तो यही कहूंगा कि जो भी देश इस्लाम के नाम पर आतंक फैलाएगा उन सभी देशों को फिलीस्तीन ही बना देना है । अगर ये हमास वाले कई साल पहले ही इज़राइल की सरपरस्ती कबूल कर लेते तो स्थिति नियंत्रण में होती और  भारत की राजनीति में भी दलित चिंतन   सुधर  गया होता ।
               फिलिस्तीन के लिए ज्यादा दुआएँ करने की जरूरत नहीं  है। दुआ कीजिए खुद के लिए, दुआओ की जरूरत पाकिस्तान और चीन को है जिन्हे जल्द ही दुनिया अलग थलग करने के मूड में है ।  हिम्मत की, हौंसले की जरूरत अभी  हमें है। हम ख़ुद के लिए दुआ करें कि जल्द करोना से उबर के पूरे विश्व में भारत का परचम बुलन्द कर सके । हम में कभी कोई इस्लाम आतंकी  फिलिस्तीनी पैदा ना हो ,इजरायल में 5 साल का बच्चा भी आतंक से सीना तानकर बात करता है। यहां चिन्दी दलित चिंतक, जातिवादी दलों और  फासिस्टो ने सारा सिस्टम पर कब्जा कर रखा है । आरक्षण के नाम पर मलाई खा कर देश को खोखला करने वाले ऐसे दलों और उनके हुक्मरानों को फिलीस्तीन का समर्थन करते देख दुख हुआ । इस्लामिक देशों में दूर दूर तक किसी में सर उठाकर ऐसे विरोधी बात करने की हिम्मत नहीं है।भारत में चंद लोगों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश लोग जातिवादी नेताओं के चेलों के आगे "जी हुकम" पोज़िशन में बिछे पड़े हैं। फ़िलिस्तीनियों के लिए सबसे बड़ा अचीवमेंट है कि उन्हें भारतीय गद्दारों का समर्थन मिल रहा । ऐसे लोग ही  अपने वतन से गद्दारी करे है । वहाँ माऐं अपनी औलादों के मरने पर अल्लाह हूं अकबर कर रही है, यहाँ  माऐं अपने बच्चों को सवर्णों का विरोध  सिखाती है।  फिलिस्तीनी  गोले बारूद मिसाईल बन्दूक से डरते है,  वे अपनी हिमाकत  के लिए मौत को गले लगाने को तैयार है उन्हे नरक नसीब हो इससे पहले यहां के दलित चिंतक उन्हे शहीद बोलने कि तैयारी में है , आतंकी कहीं भी  भागने के लिए तैयार है पर आतंकी हुक्मरान उन्हे शै दिए जा रहे थे ,पाकिस्तान भी ऐसा ही मुल्क है और अगला फिलीस्तीन बनने की राह पर है , पलायन को उन्होंने खुद पर हावी  कर रखा है। पाकिस्तानी घुसपैठिए मारें जाएंगे, विस्थापित भी होंगे कश्मीर से । उनके लिए बन्दूक से निकली मौत कोई अनोखी चीज़ नहीं है पर वे किसी भी हाल में मैदान छोड़ेंगे ही छोडेंगे। भारत के दलित चिंतक  चाहते तो इजरायल की अधीनता स्वीकार कर जीवन भर आधे सुल्तान बने रहते। फिलिस्तीनीयो के लिए अब शहादत सबसे बड़ा हराम  है। ज़ालिम जब जुल्म करता है तब  हंसने वाले हमास का यही हश्र होना  है क्योंकि ज़ालिम का ज़ुल्म उनके लिए इबादत है तो आतंकवाद का सफाया हमारा लक्ष्य है। 
-------- पंकज कुमार मिश्रा, एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर ।


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