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जिम्मेदारी सबकी ! _________

31-05-2021 08:36:29 PM


महामारी के वैश्विक कहर में आपको टूलकिट का असर और हमारे बच्चो का वैक्सीन विदेश क्यों भेजा ,जैसे स्लोगन सोशल मीडिया पर दिखे होंगे ।वैक्सिन की पूरे विश्व में जबरदस्त किल्लत है पर पूरे विश्व के अधिकतर देशों ने अपने यहां के विपक्ष को सम्हाला । इन देशों में सरकार और विपक्ष के आपसी तालमेल से मामलें को ना सिर्फ नियंत्रित किया अपितु जनता को सुरक्षित रखने का सफल प्रयास भी किया । सभी विकसित देशों  ने  एडवांस बुकिंग कर अपने देशों में वैक्सिन लगवा रहे है या लगवा चुके है । ऐसे देश काफी वैक्सीन स्टॉक भी कर लिए है जबकि भारत समेत अन्य विकासशील देश और गरीब देशों को वैक्सिन नही मिल रही है ,उसका सबसे बड़ा कारण यहां का विपक्ष है  । विपक्ष ने पहले भ्रम फैलाया की वैक्सीन भाजपा की है फिर ये कहा कि हमारे बच्चो की वैक्सिन विदेश क्यू भेजे जा रहे  , ये लिखा स्लोगन जनता को भ्रमित कर गया । इन सबसे यह साबित हुआ की जनता के स्वास्थ्य से भी जरूरी विपक्ष की राजनीति है।सरकार  के प्रयासों में कमी नहीं किन्तु विपक्ष समेत अन्य राजनीतिक पार्टियों ने भारत के जनता को घोर संकट में डाला । वैक्सिन कंपनियां अब गरीब देशों से अपना सबसे कीमती चीज , अपनी स्वास्थ्य सेवाएं तक को गिरवी रखने के लिए कह रही है,परंतु हमारे देश के विपक्षी पार्टियों को अपने देश की वैक्सिन " घर की मुर्गी दाल बराबर " लग रही थी और अभी भी लग रही है, अब जब वैश्विक बाजार से ये खाली हाथ लौट रहे हैं तब इनको आटे दाल का भाव समझ में आ रहा है ।
          काश जब अपने देश में वैक्सिन का उत्पादन शुरू हुआ था और 16 जनवरी से वैक्सिन देना शुरू हुआ था उस समय गिरी हुई राजनीति न करके लोगो को वैक्सिन लेने के लिए प्रोत्साहित करते और केंद्र सरकार पर देश में ही वैक्सिन की उत्पादन बढ़ाने के लिए दवाब डालते तो शायद आज हम अच्छे हालत में होते । ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति और भी खराब है, वैक्सिन के नकारात्मक प्रचार के कारण लोगों में वैक्सिन के प्रति उदासीनता है, गांवों में 30 डोज वैक्सिन के जाते है परंतु उसे भी कोई लगवाने वाला नही होता , कल बाराबंकी ( यूपी) से खबर आई की वैक्सिन टीम को देख कर लोग डर से पुल पर से नदी में कूद कर भाग गए, यह प्रायः पूरे देश की स्थिति है । सभी सरकारों को, सभी जन प्रतिधियो को एवम समाज के सभी प्रभुद्ध नागरिकों को इसके लिए बहुत मिहनत करना परेगा । शहर के लोग जागरूक हैं, दूसरी लहर का प्रकोप देख चुके हैं अतः वे तो वैक्सीन लगवाने आगे आयेंगे परंतु असली समस्या 70% आबादी जो गांवों में रहती है उनको लेकर होगी ।
          आप यह चाहते हैं कि डाक्टर अच्छे से काम करें तो क्या बिना नियुक्ति के  डाक्टर अचानक महामारी के साल में बढ़ जायेंगे? उसके लिये सरकार ने अब तक के इतिहास मे सबसे ज्यादा एम्स और मेडिकल कालेज शुरु करने होंगे । अभी भी जौनपुर और आजमगढ़ जैसे जिलों में कई वर्ष से बन रहे मेडिकल कोलेज शुरू भी नहीं हो सके है कारण सिर्फ और सिर्फ अड़गेबाजी और क्रेडिट लेने की होड़ है । आप को लगता है कि 2019 तक जिस देश में केवल 48000 वेंटिलेटर थे, वहां एक साल में 10 लाख वेंटिलेटर हो जायेंगे ? सरकार ने उसे 1 साल में 1 लाख के ऊपर कर भी दिया तो उसको चलाने वाले अचानक कहां से आ जायेंगे? उसको इंस्टाल करने वाले, उसको बनाने वाले कहां से आयेंगे ? सरकार ने जितनी तेज़ी से आक्सीजन सप्लाई बढ़ाई क्या वह चर्चा का विषय नहीं होना चाहिये? और जब हर जगह से आक्सीजन मिलना शुरु हुआ तो आखिर किसी विशेषज्ञ ने यह क्यों नहीं बताया की इससे ब्लैक फंगस फैल सकता है? क्या यह बताना प्रधानमंत्री का कार्य है? आप लोग प्रश्न उठाते फिर रहे हैं कि ब्लैक मार्केटिंग रोकना तो सरकार का काम है। बहुत अच्छा तर्क है। यानी आपकी कोई जिम्मेदारी नहीं है। जब देश में आपातकालीन परिस्थिति है तब सरकार अपने अधिकतम मैन पॉवर का प्रयोग लाक डाउन ठीक से रहे उसमें भी प्रयोग में लाए, लाश भी जलवाये, गृहयुद्ध कराने के प्रयास में लगे ताकतों को कुचल कर शान्ति व्यवस्था भी कायम रखे।
          
   -- पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर ।


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