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टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की सत्रवार भर्तियां सुनिश्चित हो ! ______

04-06-2021 11:47:56 AM


केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के टीईटी वैधता को आजीवन किए जाने के निर्णय का,  शिक्षक संघो और बेरोजगार  संघर्ष समितियों ने स्वागत किया है । उक्त फैसले से जहां एक तरफ लाखो ऐसे अभ्यर्थियों ने राहत की सांस ली होगी जो टीईटी उत्तीर्ण करने बाद भी उपेक्षित रहे वहीं 2012 न्यू एड भर्ती से संघर्षरत बेरोजगार युवाओं में भी नए जोश का संचार हुआ है । आपको बता दे कि सबसे पहले टीईटी परीक्षा वर्ष 2011 में आयोजित की गई थी जिसमें लगभग चार लाख प्रतियोगी छात्रों ने सफलता पाई जिसके बाद लगभग 72800 प्राथमिक शिक्षकों के खाली पदों पर तत्कालीन मायावती सरकार ने उत्तर प्रदेश में विज्ञापन निकाला जो फर्जीवाड़े की भेट चढ़ गई । बाद में उक्त विज्ञापन को कोर्ट में चुनौती दी गई तब कोर्ट के निर्देशानुसार पुनः संशोधित विज्ञापन को समान पदो पर ही नए एड के रूप में 2012 में तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार ने पुनः निकाला ,जिसमें एक चरण की काउंसलिंग भी हुई और कुछ लोगो को नियुक्ति भी मिली , फिर पुनः मामला कोर्ट में गया तो कोर्ट ने शेष काउंसलिंग रोकने तथा  सरकार से एक उच्च स्तरीय  कमेटी बनाकर रिपोर्ट देने को कहा ,जिसे वर्तमान  अखिलेश यादव सरकार ने लगातार अनदेखा किया क्युकी तब शिक्षामित्रों के मामले में उलझे अखिलेश यादव के पास विकल्प नहीं था  ।2017 में  फिर  सत्ता पलटी और योगी सरकार ने उक्त 2012 न्यू एड विज्ञापन मामले में राज्य शिक्षा मंत्री दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में  एक समिति गठित करवाई , जिसने रिपोर्ट बनाई किन्तु उस रिपोर्ट को आज तक ठंडे बस्ते में यह कर रखा कि उन पुराने  अभ्यर्थियों के टीईटी की वैलिडिटी समाप्त है इससे उनकी नियुक्ति में अड़ंगा आएगी । अब जबकि टीईटी वैलिडिटी का मुद्दा समाप्त होने जा रहा ऐसे में अब उन 2012 के  बेरोजगार अभ्यर्थियों ने सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है ।
      टेट प्रमाण पत्र को आजीवन करने की खबर पढ़ कर ओवर एज हो चुके पुराने विज्ञापन के बेरोजगार अभ्यर्थियों ने सरकार से उनके हितों पर ध्यान देने की गुजारिश भी की है । वास्तव में शिक्षामित्रों की राजनीति कर चुकी अखिलेश यादव सरकार उस समय तो इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दी किन्तु अब आजीवन वैद्यता के निर्णय के बाद इस अवसर को भुनाने हेतु कमर कस चुकी है । सूत्रों के अनुसार टीईटी 2012 न्यू एड के समर्थक और अगुवाई कर रहे  बेरोजगार संघ के अध्यक्ष, अखिलेश यादव से इस मुद्दे पर भर्ती करने और इस भर्ती को 2022 के चुनाव के मेनिफेस्टो में शामिल करने के लिए मुलाकात कर चुके है । अगर ऐसा होता है तो लगभग तीन लाख बेरोजगार पूर्व टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी अखिलेश यादव के समाजवादी खेमे के साथ खड़े हो सकते हैं जो अन्य दलों के लिए चिंता का भी विषय हो सकता है । वैसे भी अगर राजनीतिक पंडितों को याद होगा तो , शिक्षामित्रों के बलबूते अखिलेश सरकार सत्ता में वापसी का माद्दा दिखा चुकी है ऐसे में योगी सरकार के पास ये विकल्प है कि वो इन बेरोजगारों की 2012 की रुकी भर्ती पुनः प्रारम्भ करके या सत्रवार भर्ती सिस्टम लागू करके उत्तर प्रदेश में संभावित  राजनीतिक उलटफेर को रोक सकती है । कई अगड़ी जातियों के योगी सरकार से नाराजगी का फायदा लेने के उद्देश्य से भी समाजवादी पार्टी इस भर्ती को बहाल करने में अपनी रुचि दिखा सकती है । टीईटी से जुड़ी यह खबर उन तमाम बेरोजगारों के दिल को सुकून देने वाली है, जो बेरोजगारी से तंग होकर गरीब और लाचार जीवन जीने को मजबुर हो चुके होंगे ।  बहुत से लोगो ने टीईटी 2011 मुद्दे पर आत्महत्या भी की थी , ज़रा सोचिए कि क्या इसमे टीईटी 2012 न्यू एड से लोग जो ओवर एज हो चुके हैं उन्हें किसी प्रकार छूट देने की बात कही जा सकती है ? शायद नही। इसीलिए अभी इस न्यूज़ से ज़्यादा खुश होने की ज़रूरत नही है। इससे केवल भीड़ बढ़ेगी जॉब के लिए अभी सरकार के पास ना  पद  है ना कोई योजना । ट्विटर पर बेरोजगार युवाओं के बढ़ते आवाज से घबराकर सरकार कोई ठोस कदम उठा सकती है या हो सकता  है साथियों के ट्वीट वॉर को दबाने का यह एक सरकारी शिगूफा हो।
             बेरोजगारों को तो  वास्तविक खुशी  तब मिलेगी जब इस उत्तर  प्रदेश में खाली पड़े लाखो पदों पर पुराने शिक्षकों को प्रोमोट किया जाए या ईयर वाइज जॉब प्रदान की जाए,वरना भीड़ बढ़ाने हेतु टेट की वैद्यता आजीवन किया जाना बिना ओवर एज वालो को छूट दिए महज एक चुनावी स्टंट है या टेट 2011 वालो को ट्वीट वॉर से रोकने का एक हथकंडा भी हो सकता है । इसलिए 2012 न्यू एड के समर्थक अखिलेश यादव , बहुजन समाज पार्टी सहित अन्य सभी विकल्प की तरफ देख रहे । उनके अध्यक्ष ने कहा कि बेरोजगार संघर्ष जारी रखे और किसी तरह के प्रलोभन में न आकर आपने मार्ग से विचलित न हो। हो सकता है  लगातर प्रयास करते रहने के कारण टेट को आजीवन करने का लॉलीपॉप दिया गया है। शिक्षा महकमे में 4 लाख पद खाली थे, विभिन्न विभागों में चतुर्थ श्रेणी के 4 लाख सृजित पदों में अधिकांश खाली चल रहे थे, इसके अलावा भी राजस्व, पंचायती राज, बिजली विभाग व कृषि आदि में बड़े पैमाने पर पद खाली थे, इन खाली पदों(बैकलॉग) पदों को भरने का वादा भाजपा ने विधानसभा चुनावों में किया था, प्रधानमंत्री मोदी जी ने भी जोरशोर से भाजपा सरकार बनने पर युवाओं के हित में इसे पहली प्राथमिकता बताया था। आज बेकारी का सवाल महामारी के इस दौर में और भयावह हो गया है। खास तौर पर उच्च शिक्षित युवाओं के लिए जीवन-मरण का प्रश्न है। ऐसे में हम युवाओं के समक्ष यह प्रश्न है कि इस बेकारी के सवाल पर जिसमें तात्कालिक तौर पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रश्न बैकलॉग भर्ती के वादे को पूरा करने है पर कैंपेन संचालित किया जाये, कि अलग अलग मुद्दों पर अलग अलग आंदोलन संचालित किया जाये, जैसे अधीनस्थ के छात्र अलग आंदोलित होते हैं, टीजीटी पीजीटी का अलग से मुद्दा उठाया जाता है, इसी तरह उच्चतर का अलग से आंदोलन करते हैं, इसी तरह बेकारी व रोजगार से जुड़े मुद्दों पर युवा अलग अलग समूहों में आंदोलन करते हैं और आपस में विभाजित भी हैं, कई विवाद तो जानबूझकर पैदा किये गए हैं और अरसे तक के लिए मामले न्यायालय के पचड़े में उलझा दी गई हैं। दरअसल सभी मुद्दे तो बेकारी से ही जुड़े हैं तब ऐसे में आपकी बेकारी के इस सवाल पर कैंपेन के संबंध में क्या राय है ?
              

  --- पंकज कुमार मिश्रा
 एडिटोरियल कॉलमिस्ट 
     शिक्षक एवं पत्रकार 


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