Breaking News

बदलते राजनीतिक परिवेश में घटिया बयानबाजी ! _______

13-06-2021 03:24:21 PM


 कांग्रेस के दिग्गज और बड़बोले नेताओं कि फौज समय समय पर अपनी भड़काऊ उपस्थिति दर्ज कराकर पार्टी की किरकिरी कराती रहती है । राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी हिंदुत्व के मुद्दे पर असहज नजर आती रही है , तथा हिंदुत्व के उपेक्षाओं के कारण ही उसे लगातार दस वर्ष केंद्र की सत्ता से हाथ धोना पड़ा है । वर्तमान में पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी हिंदुत्व और हिन्दू की बात करके पार्टी को उत्तर प्रदेश में स्थापित करने का प्रयास कर रही थी जबकि राष्ट्रीय स्तर पर हिंदुत्व के एजेंडे पर लगातार रागिनी नायक , अखिलेश प्रताप सिंह और गौरव वल्लभ पार्टी का बचाव करते नजर आ रहे थे । ये सब संतुलित होता उससे पूर्व ही कांग्रेस मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और बड़बोले नेता दिग्विजय सिंह ने कांग्रेस की जमकर बखिया उधेड़ दी है । दिग्विजय  एक पाकिस्तानी पत्रकार को  आश्वासन देते नजर आए जब उन्होंने कहा कि यदि उनकी पार्टी कांग्रेस पुनः केंद्र सरकार में आई तो  कश्मीर में धारा 370 वापिस ले आया जाएगा ।
                      दिग्विजय सिंह अकेले ऐसे नेता है जो देश विरोधी बयानों से अपने दम पर कांग्रेस को बर्बाद करने की क्षमता रखते है । दिग्विजय सिंह की तारीफ  इस तरह भी समझी जा सकती है कि मध्य प्रदेश कांग्रेस  से ज्योतिरादित्य सिंधिया को  दूर करने में इनकी अहम भूमिका रही । पार्टी की गलत नीतियों को पेश करने में कांग्रेसी नेताओं की कोई सानी नहीं । अभी हाल में शाहजहांपुर लोकसभा क्षेत्र के मशहूर ब्राह्मण चेहरा  जितिन प्रसाद ने भी सत्तर वर्ष पुरानी  पार्टी कांग्रेस का दामन छोड़ दिया । इससे पूर्व कांग्रेस रीता बहुगुणा जोशी , ज्योतिरादित्य सिंधिया इत्यादि दिग्गजों को खो चुकी है और आगे यदि सब कुछ इसी तरह बेलगाम और अनियंत्रित चलता रहा तो सचिन पायलट समेत अन्य बड़े चेहरे भी पार्टी से किनारा कर लेंगे क्युकी हिंदुत्व के पक्षधर राजनेता दोनों धड़ों में है । भाजपा तगड़ी हिंदुत्ववादी छवि रखती है जबकि कांग्रेस पर गाहे बगाहे इस्लाम परस्त होने का इल्जाम लगता रहा है । अब ऐसे में धारा 370 के वापसी के  बयान के बाद कांग्रेस से अन्य हिंदूवादी छवि के नेता  भी पार्टी से किनारा कर सकते है , फिलहाल तो कांग्रेस आलाकमान इस मुद्दे पर चुप्पी साधे है । कांग्रेस में यह विखराव कोई आकस्मिक नहीं है ,यह सब आंतरिक कलह और अंदरूनी चापलूसी का परिणाम है जो अब कांग्रेस के लिए मुश्किलात पैदा कर रही  । मैने इससे पूर्व भी एक अखबारिय लेख और समाचार डिबेट में कहा  था कि कांग्रेस संगठन कर्ताओं को कुछ कठोर कदम उठाने चाहिए और ऐसे  दिग्गज नेताओं के उलूल जुलूल व निजी बयान से तत्काल किनारा करते हुए इनपर कार्यवाही करके जनता का भरोसा जीतने की कोशिश करनी चाहिए । दिग्विजय के हालिया बयान और कमलनाथ के भारत माता के बदनाम वाले बयान को कांग्रेस ने हल्के में लिया पर देश की एक कौम ने इसे मुद्दा बना लिया है ,अब जाहिर सी बात है की इन बयानों का भाजपा फायदा उठाएगी ,जिसमें साफ तौर पर कांग्रेस के रणनीतिकारों को परेशानी होगी ।वैसे कांग्रेसी सोशल मीडिया सेल के पदाधिकारी भी पार्टी के किरकिरी कराने में पीछे नहीं है, सोशल मीडिया पर पार्टी के लिए कब्र खोदने का कार्य कर रहे, सोशल मीडिया सेल के जिला स्तर के पदाधकारियों को तत्काल नियंत्रित करके सोशल मीडिया सेल का गठन नए सिरे से करने की भी जरूरत है । पार्टी में अंदरूनी कलह पहले से थी किन्तु राहुल गांधी की केवल ट्विटर सक्रियता और प्रियंका गांधी की केवल यू पी वाली राजनीति ने पार्टी की छीछालेदर करवा दी । अमित शाह व मोदी जी को ऐसे ही राजनीति का चाणक्य नहीं कहा जाता है , जब तक वो राष्ट्रीय अध्यक्ष थे भाजपा के कार्यकर्ताओं का उत्साह चरम पर था , वर्तमान समय में भाजपा के  स्थानीय मंत्री विधायक और पदाधिकारी थोड़े बेलगाम हुए है पर इसका फायदा कांग्रेस नहीं उठा पा रही । कांग्रेस में तो अब स्थिति ठीक उलट है, इनके नेता ही पार्टी छोड़ कर नाराजगी जता रहे ।  
         क्या जितिन प्रसाद के  भाजपा में आ जाने से  ब्राह्मण वोट मेंटेन हों पाएगा ? योगी जी के ब्राह्मणों के प्रति ढुलमुल रवैए व इसके बाद लगे ग्राफिक डिजाइनिंग से भाजपा को ब्राह्मण वोट के गिरते प्रतिशत का चुनावी इतिहास दिखाने में कितना सहयोग देंगे जितिन ! हद है योगी जी की राजनीति अगर जातिगत समीकरण का बैशाखी थामती तो निश्चित ही यूपी के अपराधी तंत्र के एनकाउंटर प्रकरण में कोई दुबे, पाण्डेय धारक योगी सफाई अभियान का कूड़ा नहीं बनता। इस सत्य को तमाम योगी विरोधी भी स्वीकारते हैं खुले पटल से, तभी तो किसी ने भगवान परशुराम की मूर्ति बनाने की चुनावी घोषणा की हुई है, तो किसी ने कुछ। "राजनीति जनता को बेवकूफ बनाने वाली यांत्रिकी हैं" वाली उक्ति पढ़ने वाले तटस्थ भी एकबारगी योगी जी के राजनीतिक मानक के सामने आत्मसमर्पण कर देते हैं।क्यों यह सत्य नहीं कि यूपी में राजनीति करने वाले योगी के तमाम पुर्वाधिकारी चाहे मुलायम-अखिलेश हों या मायावती, कि जिन्होंने वैध-अवैध तमाम तंत्रों में अपनी राजनीतिक जातिगत समीकरणों का भरपूर ख्याल रखा ? यहां तक कि इन दोनों की राजनीति ने तो भारत की राजनीति का परिभाषिक प्रतिनिधित्व किया। एक लंबे अरसे तक ऐसी दागदार वैचारिक स्थापनाओं का परिणाम रहा कि लोग आज भी कहते हैं, "राजनीति में तो निष्ठा और पारदर्शिता संभव ही नहीं है। राजनीति बहुत गंदी चीज है।"दरअसल सत्य तो है यह है कि योगी की राजनीति हिंदू राष्ट्र की राजनीति है। शेष जाति और मजहब की राजनीति करने वाले तो आज अपने विरोध का ही विरोध करने की बदहाली में पहुंच चुके हैं। जो बताते चलते हैं कि भारत में दो प्रकार की वैक्सी-न हैं, एक भाजपाई और एक भारत सरकार की।हां दसकों की परंपरागत राजनीति ने भारत में जातिगत राजनीति का एक सत्य तो स्थापित किया ही हुआ है। फिर इस चश्मे को हिंदू राष्ट्र की अवधारणा के खिलाफ प्रयोग कर मिशन को वैचारिक स्तर पर कमजोर तो किया ही जा सकता है।
                  ____ पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट पत्रकार एवं शिक्षक केराकत जौनपुर  ।


Comentarios

No Comment Available Here !

Leave a Reply

अपना कमेंट लिखें। कॉमेंट में किसी भी तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग न करें। *

भारतवर्ष

अगर आपके पास कोई समाचार हो तो आप हमे jaibharatvarsh4@gmail.com पर भेज सकते हैं। >>

Copyright 2020. All right reserved