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देशभक्त धावक मिल्खा सिंह की उड़ान ! _________

19-06-2021 09:30:25 PM


भारत में खेल विभूतियों को जितना सम्मान दिया जाता है वो शायद किसी और देश में ना देखने को मिले । एक ऐसे ही खिलाड़ी हुए मिल्खा सिंह । पंजाब प्रांत में वर्ष 1929 में जन्मे धावक मिल्खा सिंह ने शुक्रवार 18 जून 2021 को देर शाम अंतिम सांस ली । 1958 के एशियाई खेलों में 200  मीटर व 400 मीटर में स्वर्ण पदक, 1958 के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण पदक, 1962 के एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले मिल्खा सिंह के पुत्र जीव मिल्खा सिंह भी एक जाने माने गोल्फर है । दुखद रहा कि भारत के विभाजन के बाद की अफ़रा तफ़री में मिलखा सिंह ने अपने माँ बाप को खो दिया। अंततः वे शरणार्थी बन के ट्रेन द्वारा पाकिस्तान से भारत आए।ऐसे भयानक बचपन के बाद उन्होंने अपने जीवन में कुछ कर गुज़रने की ठानी और भारत के अब तक के सफलतम धावक बने। कुछ समय के लिए वे  400 मीटर  के विश्व कीर्तिमान धावक भी रहे। कार्डिफ़, वेल्स, संयुक्त साम्राज्य में 1958  के कॉमनवेल्थ खेलों में स्वर्ण जीतने के बाद सिख होने की वजह से लंबे बालों के साथ पदक स्वीकारने पर पूरा खेल विश्व उन्हें जानने लगा। इसी समय पर उन्हें पाकिस्तान में दौड़ने का न्यौता मिला, लेकिन बचपन की घटनाओं की वजह से वे वहाँ जाने से हिचक रहे थे। लेकिन न जाने पर राजनैतिक उथल पुथल के डर से उन्हें जाने को कहा गया। उन्होंने दौड़ने का न्यौता स्वीकार लिया था ।
         प्रतियोगिता में मिलखा सिंह ने सरलता से अपने प्रतिद्वन्द्वियों को ध्वस्त कर दिया और आसानी से जीत हासिल की । अधिकांशतः मुस्लिम दर्शक उनसे इतने प्रभावित हुए और   तभी से उन्हें फ़्लाइंग सिख की उपाधि मिली। मिलखा सिंह ने बाद में खेल से सन्यास ले लिया और भारत सरकार के साथ खेलकूद के प्रोत्साहन के लिए काम करना शुरू किया था । जाने-माने फिल्म निर्माता, निर्देशक और लेखक राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने वर्ष 2013 में इनपर भाग मिल्खा भाग नामक फिल्म बनायी। ये फिल्म बहुत चर्चित रही। फ्लाईंग सिख के उपनाम से चर्चित मिल्खा सिंह देश में होने वाले।खेल आयोजनों में शिरकत करते हैं। हैदराबाद में 30 नवंबर,2014 को हुए 10 किलोमीटर के जियो मैराथन-2014 को उन्होंने झंड़ा दिखाकर रवाना किया। जिन्होंने रोम के 1960 ग्रीष्म ओलंपिक और टोक्यो के 1964 ग्रीष्म ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उन्हें "उड़न सिख" उपनाम दिया गया था। वे भारत के सर्वकालिक सर्वश्रेष्ठ एथलीट्स में से एक थे।मिलखा सिंह आज तक भारत के सबसे प्रसिद्ध और सम्मानित धावक हैं। इन्होने रोम के 1960  ओलंपिक खेलों में  पूर्व ओलंपिक कीर्तिमान को ध्वस्त किया लेकिन पदक से वंचित रह गए। इस दौड़ के दौरान उन्होंने ऐसा राष्ट्रिय कीर्तिमान स्थापित किया जो लगभग 40 साल बाद जाकर टूटा। सन 1958 में कटक में आयोजित राष्ट्रिय खेलों में उन्होंने 200 मी और 400 मी प्रतियोगिता में राष्ट्रिय कीर्तिमान स्थापित किया और एशियन खेलों में भी इन दोनों प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक हासिल किया। 
              साल 1958 में उन्हें एक और महत्वपूर्ण सफलता मिली जब उन्होंने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल खेलों में 400 मीटर प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक हासिल किया। इस प्रकार वह राष्ट्रमंडल खेलों के व्यक्तिगत स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीतने वाले स्वतंत्र भारत के पहले खिलाडी बन गए। इसके बाद उन्होंने सन 1960 में पाकिस्तान प्रसिद्ध धावक अब्दुल बासित को पाकिस्तान में हराया जिसके बाद जनरल अयूब खान ने उन्हें ‘उड़न सिख’ कह कर पुकारा।वर्ष 1958 में भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया पर मिल्खा ने सन 2001 में भारत सरकार द्वारा ‘अर्जुन पुरस्कार’ के पेशकश को ठुकरा दिया। मिल्खा सिंह ने अपने जीवन में जीते सारे पदकों को राष्ट्र के नाम कर दिया। शुरू में उन्हें जवाहर लाल नेहरु स्टेडियम में रखा गया था पर बाद में उन्हें पटियाला के एक खेल म्यूजियम में स्थानांतरित कर दिया गया। वर्ष 2012 में उन्होंने रोम ओलिंपिक के 400 मीटर दौड़ में पहने जूते एक चैरिटी की नीलामी में दे दिया। वर्ष 2013 में मिल्खा ने अपनी बेटी सोनिया संवलका के साथ मिलकर अपनी आत्मकथा ‘द रेस ऑफ माय लाईफ ' लिखी। इसी पुस्तक से प्रेरित होकर हिंदी फिल्मों के मशहूर निर्देशक राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने ‘भाग मिल्खा भाग’ नामक फिल्म बनायी। इस फिल्म में मिल्खा का किरदार मशहूर अभिनेता फरहान अख्तर ने निभाया।
               -- पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार 


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