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आई. पी. एल और बुमराह के चयन ने छीना भारत से जीत ! ____________

24-06-2021 12:10:06 PM

 
छ दिन तक चले वर्ल्ड टेस्ट क्रिकेट चैम्पयनशिप में बुधवार को न्यूजीलैंड ने शानदार खेल से  भारत को पटखनी देकर अपना पहला आई सी सी खिताब जीता । वर्षा बाधित इस मैच ने क्रिकेट की किरकिरी कर दी पर न्यूजीलैंड इस जीत की हकदार थी । वहीं दूसरी तरफ भारतीय क्रिकेट चयन समिति ने उनके जीत को और आसान बना दिया । जी हां ! जसप्रीत बुमराह के टेस्ट मैच में चयन को लेकर मै शुरू से ही सवाल खड़े करता आया हूं क्युकी बुमराह एक गुड लेंथ बॉलर है जो केवल छोटे फॉर्मेट में लेंथ गेदबाजी के लिए जाने जाते है । वहीं बची खुची कसर रविन्द्र जडेजा के चयन ने पूरी कर दी जो कि वर्ल्ड कप फाइनल  टेस्ट मैच में चयनित होकर केवल खानापूर्ति किए । आई पी एल को भी  विश्व कम  टेस्ट सीरीज गवाने का सबसे बड़ा कारण माना जा सकता है । क्युकी आई पी एल के प्रदर्शन को टेस्ट मैच टीम सलेक्शन का आधार बना लिया गया जिसका जीता जागता सबूत रहा रविन्द्र जडेजा जैसे खिलाड़ी का इस महत्वपूर्ण  टेस्ट मैच में सलेक्शन । आई पी एल इसलिए भी आत्मघाती बना क्युकी इसमें हम अपने टेस्ट खिलाड़ियों को ओपन कर देते है जिसका फायदा विदेशी जमकर उठाते है और यही किया विपक्षी कप्तान कैन विलियमसन ने । भारत में क्रिकेट चलाने वाली संस्था पैसो से टनाटन है। बी सी सी आई वह खेल संस्था है जो विश्व की सबसे धनाड्य खेल संस्था मानी जाती है। यह संस्था अपने खिलाड़ियों पर पानी की तरह पैसा बहाती है। हमारे यहाँ अन्य खेलों में खिलाड़ी उचित और अच्छी खेल सुविधाओं के लिए तरसते है वहीं बीसीसीआई अपने क्रिकेटरों को इतना पैसा देती है की खिलाड़ी को किसी भी एक  फॉर्मेट की कैप मिली की वह मालामाल हो जाता है। जाहिर है यह सब सुविधाएं धोनी के पहले के भी कप्तानों को उपलब्ध थी, धोनी को भी और आज विराट कोहली को भी ये सर्व सुलभता से उपलब्ध है। फिर ऐसी क्या कमी रह गई जो धोनी तक तो हम कोई ना कोई आइसीसी ट्रॉफी जीतते रहे लेकिन विराट कोहली के कप्तान बनते ही हमारे खिलाड़ी कोई विश्व कप फाइनल जीतना भूल से गए। कोहली को एक बनी-बनाई अच्छी टीम मिली। कोहली ने खुद भी इसी टीम को और बेहतर बनाया। नतीजतन तेज गेंदबाज धूंआधार प्रदर्शन करने लगे। कोहली को कोच अनिल कुंबले फूटी आँखों नहीं सुहाएँ उन्हे रातों-रात हटाकर उनका पसंदीदा कोच रवि शास्त्री के रुप में उनको दिया गया। दोनों को चयनकर्ताओं ने इतनी स्वतंत्रता दी की वे जब चाहे अपनी पसंद अनुसार टीम के  ग्यारह चुनने लगे। इतना सब होकर भी टीम हर फॉर्मेट में चैम्पियन की तरह खेलने लगी। और घर और बाहर टेस्ट और दोनों छोटे फॉर्मेट में अनपेक्षित (विजयी) परिणाम आने लगे लेकिन जहाँ बात आई कोई आईसीसी ट्रॉफी जीतने की भारत के हाथ हमेशा निराशा हाथ लगी। कप्तान रहे विराट कोहली। विराट की कप्तानी में भारत २०१७ आइसीसी चैम्पियंस ट्रॉफी हारा और फिर कोहली की कप्तानी में फिर से २०१९ के विश्व कप में सेमीफाइनल में बाहर हो गया। और आज अभी विश्व कि सबसे प्रतिष्ठित मानी जाने वाली वर्ल्ड टेस्ट चैम्पियनशिप भी न्यूजीलैंड से ८ विकेट से हार गया। इस टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल तक का सफर भारत ने विराट की कप्तानी में ही शानदार तरीके से किया था और इस चैम्पियनशिप में भारत ने छह सीरीज खेली। टीम ने ५२० अंक हासिल किए और ७२.३% अंको के साथ फाइनल में एंट्री ली। भारत ने चैम्पियनशिप के लिए कुल १७ टेस्ट मैच खेले जिसमें उसने १२ में जीत दर्ज की जबकी ४ में हार झेली एक मैच ड्रॉ खेला। इतने दमदार रिकॉर्ड से फाइनल में पहूंचने के बाद भी भारतीय टीम न्यूजीलैंड से यह चैम्पियनशिप टाइटल हार गई। 
           न्यूजीलैंड टेस्ट टीम का ओवर ऑल रिकॉर्ड वैसे उतना प्रभावी नहीं है। लेकिन वर्ल्ड कप टेस्ट मैच के फाइनल में पहूंचने के लिए न्यूजीलैंड ने भी ११ मैच खेलकर सात जीते और चार हारे थे। जाहिर है दोनों टीमें अपना सर्वश्रेष्ठ देकर ही फाइनल में धमकी थी। लेकिन फाइनल में उसी टीम को जितना था जिसका कप्तान ज्यादा कुशल हो और पूरे ग्यारह अपना सर्वश्रेष्ठ मैदान में दे। 
न्यूजीलैंड टीम इस मामलें में बाजी मार गई। पुरी टीम आत्मविश्वास से भरी नज़र आई। केन विलियमसन कि कप्तानी एक चैम्पियन टीम के कप्तान की तरह थी। बारिश से भरे साउथैंप्टन में जहाँ विलियमसन ने पाँच तेज गेंदबाज उतारकर अद्भुत रणनीति अपनाई और वहीं जीत का आधार बनी। केन विलियमसन कि अलहदा कप्तानी को इस उदाहरण से देखा जा सकता है जब दूसरी पारी में मो. शमी बल्लेबाजी कर रहे थे और बल्ला घुमा रहे थे तब विलियमसन ने एक फिल्डर ऐसा लगाया जो ना थर्डमेन था और ना फाइन लेग। और उसे अगली ही गेंद पर शमी कैच दे बैठे। इसी तरह केन ने पाँचो तेज गेंदबाजों से भारत के हर बल्लेबाज कि कमजोरी अनुसार गेंदबाज को लाकर गेंदबाजी करवाई और टेस्ट विजय पाई। पहली पारी में काईल जेमिसन (५ विकेट) और दूसरी पारी में टीम साउथी (४ विकेट) का जितना श्रेय इन दोनों की शानदार गेंदबाजी को जाता है उतना ही श्रेय विलियमसन को भी जाता है। वैगनर का भी इस्तेमाल विलियमसन ने अचूक मौको अनुसार स्पेल देकर किया। बल्लेबाजी में दोनों पारियों में उन्होंने कप्तानी पारी खेली और टेस्ट जीत दिलाकर ही लौटे। विपरीत इसके विराट कोहली का दो स्पिनर्स और तीन पेसर्स का फार्मूला फेल हो गया। गेंदबाज हालांकि किला लडाते रहे लेकिन खुद कप्तान कोहली और दूसरे बल्लेबाज न्यूजीलैंड के गेंदबाजों के सामने संघर्ष करते दिखें। कोहली बेवजह की चिल्लपों करते रहे और विलियमसन ने चूपचाप अपना जलवा बिखेर दिया। भारतीय बल्लेबाजों की आजकल एक नई शैली इज़ाद हुई है वह है डरपोक शैली। खुद भारत का कप्तान आजकल कभी एडम झम्पा जैसे गेंदबाज की गेंदों पर बार-बार आउट होता है तो कभी लेग स्पिन के खिलाफ संघर्ष करता दिखता है। काईल जेमिसन ने दोनों पारियों में विराट का विकेट लिया और मैच भारत से दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कुल मिलाकर एक और आईसीसी फाइनल में विराट कोहली फिर बुरी तरह नाकाम हो गए है। और उन पर यह ठप्पा लग चूका है की वे विश्व कप के फाइनल जीतने का बुद्धि कौशल नहीं रखते है। लॉन टेनिस की महान हस्ती इवानलेंडल लाख चाहकर भी अंत तक प्रतिष्ठित विंम्बलडन नहीं जीत सके थे। विराट कोहली क्रिकेट के आइसीसी ट्रॉफी कभी ना जीतने वालें इवान लेंडल है।
            --- पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार 


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