Breaking News

अखण्ड भारतवर्ष का निर्माता:चक्रवर्ती सम्राट विक्रमादित्य

03-09-2022 03:02:48 PM

विक्रमादित्य का परिचय : विक्रम संवत अनुसार विक्रमादित्य आज से 2288 वर्ष पूर्व हुए थे। नाबोवाहन के पुत्र राजा गंधर्वसेन भी चक्रवर्ती सम्राट थे। राजा गंधर्व सेन का एक मंदिर मध्यप्रदेश के सोनकच्छ के आगे गंधर्वपुरी में बना हुआ है। यह गांव बहुत ही रहस्यमयी गांव है। उनके पिता को महेंद्रादित्य भी कहते थे। उनके और भी नाम थे जैसे गर्द भिल्ल, गदर्भवेष। गंधर्वसेन के पुत्र विक्रमादित्य और भर्तृहरी थे। विक्रम की माता का नाम सौम्यदर्शना था जिन्हें वीरमती और मदनरेखा भी कहते थे। उनकी एक बहन थी जिसे मैनावती कहते थे। उनके भाई भर्तृहरि के अलाका शंख और अन्य भी थे।
 उनकी पांच पत्नियां थी, मलयावती, मदनलेखा, पद्मिनी, चेल्ल और चिल्लमहादेवी। उनकी दो पुत्र विक्रमचरित और विनयपाल और दो पुत्रियां प्रियंगुमंजरी (विद्योत्तमा) और वसुंधरा थीं। गोपीचंद नाम का उनका एक भानजा था। प्रमुख मित्रों में भट्टमात्र का नाम आता है। राज पुरोहित त्रिविक्रम और वसुमित्र थे। मंत्री भट्टि और बहसिंधु थे। सेनापति विक्रमशक्ति और चंद्र थे।
कलि काल के 3000 वर्ष बीत जाने पर 101 ईसा पूर्व सम्राट विक्रमादित्य का जन्म हुआ। उन्होंने 100 वर्ष तक राज किया। -(गीता प्रेस, गोरखपुर भविष्यपुराण, पृष्ठ 245)। विक्रमादित्य भारत की प्राचीन नगरी उज्जयिनी के राजसिंहासन पर बैठे। विक्रमादित्य अपने ज्ञान, वीरता और उदारशीलता के लिए प्रसिद्ध थे जिनके दरबार में नवरत्न रहते थे। कहा जाता है कि विक्रमादित्य बड़े पराक्रमी थे और उन्होंने शकों को परास्त किया था।
 सम्राट विक्रमादित्य अपने राज्य की जनता के कष्टों और उनके हालचाल जानने के लिए छद्मवेष धारण कर नगर भ्रमण करते थे। राजा विक्रमादित्य अपने राज्य में न्याय व्यवस्था कायम रखने के लिए हर संभव कार्य करते थे। इतिहास में वे सबसे लोकप्रिय और न्यायप्रीय राजाओं में से एक माने गए हैं। 
कहा जाता है कि मालवा में विक्रमादित्य के भाई भर्तृहरि का शासन था। भर्तृहरित के शासन काल में शको का आक्रमण बढ़ गया था। भर्तृहरि ने वैराग्य धारण कर जब राज्य त्याग दिया तो विक्रम सेना ने शासन संभाला और उन्होंने ईसा पूर्व 57-58 में सबसे पहले शको को अपने शासन क्षेत्र से बहार खदेड़ दिया। इसी की याद में उन्होंने विक्रम संवत की शुरुआत कर अपने राज्य के विस्तार का आरंभ किया। विक्रमादित्य ने भारत की भूमि को विदेशी शासकों से मुक्ति कराने के लिए एक वृहत्तर अभियान चलानाय। कहते हैं कि उन्होंने अपनी सेना की फिर से गठन किया। उनकी सेना विश्व की सबसे शक्तिशाली सेना बई गई थी, जिसने भारत की सभी दिशाओं में एक अभियान चलाकर भारत को विदेशियों और अत्याचारी राजाओं से मुक्ति कर एक छत्र शासन को कायम किया।


Comentarios

No Comment Available Here !

Leave a Reply

अपना कमेंट लिखें। कॉमेंट में किसी भी तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग न करें। *

भारतवर्ष

अगर आपके पास कोई समाचार हो तो आप हमे jaibharatvarsh4@gmail.com पर भेज सकते हैं। >>

Copyright 2020. All right reserved