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8 मई 1945 को आज ही के दिन द्वितीय विश्व युद्ध में नाजीवादी जर्मनी ने किया था सरेंडर

08-05-2023 12:43:17 PM

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22 जून 1941 को हिटलर ने सोवियत संघ पर हमला करने के लिए 40 लाख फौज उतार दी थी। उसने इस हमले का नाम ऑपरेशन *‘बॉर बरोसा* दिया था। यह यु़द्ध चार वर्ष तक चला। यह इतिहास का सबसे खूनी युद्ध था। इस युद्ध के पहले आठ घण्टों में ही सोवियत सेना के 1200 विमान नष्ट हो गये थे। नाजी जर्मनी ने चंद महीनों में ही सोवियत समाजवादी राज्य को खत्म करने का सपना देखा था। 23 जून 1941 को इटली और रोमानिया ने सोवियत संघ के विरुद्ध युद्ध घोषित कर दिया। फिनलैण्ड भी हिटलर के साथ हो गया। 
संयुक्त राज्य अमेरिका और ब्रिटेन विश्व युद्ध में तब तक नहीं उतरे जब तक यह निश्चित नहीं हो गया कि सोवियत संघ में हिटलर की भारी फौज बुरी तरह से पिट रही है। दिसम्बर 1944 में हिटलर ने पश्चिमी मोर्चे पर आक्रमण किया
था,  उस समय सोवियत संघ ने पूर्वी मोर्चे के केन्द्रीय हिस्से में
जर्मन फौजों पर निर्णायक हमला किया था। एक तरफ अमेरिका और ब्रिटिश साम्राज्यवादियों का रुख यह था कि सोवियत संघ को नष्ट कर दिया जाय या कम से कम कमजोर कर दिया जाय। दूसरी तरफ अपने सहयोगियों के प्रति सोवियत संघ का रुख मदद करने का था। वस्तुतः फासीवाद के विरुद्ध संघर्ष में सोवियत संघ की निर्णायक भूमिका की। उसने
ही सबसे अधिक फासीवाद विरोधी विश्व व्यापी मोर्चा बनाने की पहल की थी। वहीं फासीवाद को निर्णायक शिकस्त देने में
अपने 2 करोड़ से ज्यादा लोगों की कुर्बानियां देकर हिटलर
जैसे दानव से मानवता को बचाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका
अदा कर रहा था। अमेरिकी और ब्रिटिश साम्राज्यवादी हिटलर को मजबूत करने में उसे आक्रमणकारी के तौर पर उकसाने में और सोवियत
संघ को अलगाव में डालकर समाजवादी व्यवस्था को ध्वस्त
करने में लगे हुए थे। लेकिन वे सफल नहीं हुए। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद सोवियत संघ एक मजबूत शक्ति के बतौर उभरा। यह साम्राज्यवाद ही था, जिसने हिटलर जैसे फासीवादी दानव को चकनाचूर करने में आहम भूमिका निभाई।
*(8 मई पर विशेष )*


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