1967 मे चीन को भारत से मिला करारा जवाब
16-06-2020 01:47:15 PM
6 सितंबर 1967 को धक्कामुक्की की एक घटना का संज्ञान लेते हुए भारतीय सेना ने तनाव दूर करने के लिए नाथु ला से लेकर सेबू ला तक के दर्रे के बीच में तार बिछाने का फैसला किया. यह जिम्मा 70 फील्ड कंपनी ऑफ इंजीनियर्स एवं 18 राजपूत की एक टुकड़ी को सौंपा गया. जब बाड़बंदी शुरू हुई तो चीन के पॉलिटिकल कमीसार ने राय सिंह से फौरन यह काम रोकने को कहा. दोनों ओर से कहासुनी शुरू हुई और चीनी अधिकारी के साथ धक्कामुक्की से तनाव बढ़ गया. चीनी सैनिक तुरंत अपने बंकर में लौट गए और भारतीय इंजीनियरों ने तार डालना जारी रखा.
चंद मिनटों के अंदर चीनी सीमा से ह्न्सिल की तेज आवाज आने लगी और फिर चीनियों ने मेडियम मशीन गनों से गोलियां बरसानी शुरू कीं. भारतीय सैनिकों को शुरू में भारी नुकसान झेलना पड़ा, क्योंकि उन्हें चीन से ऐसे कदम का अंदेशा नहीं था. राय सिंह खुद जख्मी हो गए, वहीं दो जांबाज अधिकारियों 2 ग्रेनेडियर्स के कैप्टन डागर एवं 18 राजपूत के मेजर हरभजन सिंह के नेतृत्व में भारतीय सैनिकों के एक छोटे दल ने चीनी सैनिकों का मुकाबला करने की भरपूर कोशिश की और इस प्रयास में दोनों अधिकारी शहीद हो गए.
प्रथम 10 मिनट के अंदर करीब 70 सैनिक मारे जा चुके थे और कई घायल हुए. इसके बाद भारत की ओर से जो जवाबी हमला हुआ उसने चीन का इरादा चकनाचूर कर दिया. सेबू ला एवं कैमल्स बैक से अपनी मजबूत रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाते हुए भारत ने जमकर आर्टिलरी पावर का प्रदर्शन किया. कई चीनी बंकर ध्वस्त हो गए और खुद चीनी आकलन के अनुसार भारतीय सैनिकों के हाथों उनके 400 से अधिक सैनिक मारे गए.
भारत की ओर से लगातार तीन दिनों तक दिन-रात फायरिंग जारी रही. चीन को सबक सिखाया जा चुका था. 14 सितंबर को चीनियों ने धमकी दी कि अगर भारत की ओर से फायरिंग बंद नहीं हुई तो वह हवाई हमला करेगा. तब तक चीन को सबक मिल चुका था और फायरिंग रुक गई.
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