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करोना की मेहरबानी सिर्फ चुनावों में ! _______

25-05-2021 03:36:18 PM


देवियों और सज्जनों मै महामारी करोना हूं ,आप सबको बताते हुए हर्ष हो रहा कि मै चुनावी सभाओं में नहीं जाता । आप सबको अवगत कराना चाहूंगा की मुझसे सिर्फ वी आई पी नेताओं और अभिनेताओं को ही बचाया जा सकता है । मै रात के सन्नाटे में निकलता हूं इसलिए रात का कर्फ्यू पुनः जारी करिए । मै सबसे ज्यादा स्कूलों और कॉलेजों में फैलुंगा इसलिए इन्हे बंद कीजिए । मास्क लगाकर हाथ मिलाते रहिए मै नहीं बीमार करूंगा ,और  हां बंगाल में विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में मेरी कोई भूमिका नहीं है । ये सब चुनाव मेरी अनुमति से हो रहा । बहुत कुछ बदल चुका है , करोना महासंकट ने भारत को आर्थिक और मानसिक रूप से हिला कर रख दिया है किन्तु हम भारतीय भी लाजवाब है ,हर संकट से यूं जूझ जाते है जैसे वो हमारे लिए ही बना हो । जी हां ! ये बिल्कुल यथार्थ है हमने जीवंत रहते हुए करोना का डटकर सामना किया । हमारे करोना वारियर्स ने बहुत ही लाजवाब कार्य किया । उन्हे नमन करता हूं , उनकी निहस्वार्थता को प्रणाम करता हूं । आज हम लाक डॉउन से उबर कर करोना के अत्यधिक प्रसार में भी बिल्कुल सामान्य जीवन जी रहे किन्तु एक सत्य ये भी है कि हम लापरवाही में कम्यूनिटी ट्रांसमिशन की ओर तेजी से बढ़ रहे ।  एक कमरे में एक अनजान कोविड पॉजिटिव के साथ 5 मिनट बिताते हैं तो उसके द्वारा उत्सर्जित किया गया कोविड वायरस है वन डबलू के लिए शरीर को एंटीबॉडी बनानी होगी वन बी, यानि शरीर में एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है जो शरीर का प्रतिरोध तन्त्र एडॉप्ट कर ले जाता है। अब सोचिए कि अगर उस अनजान व्यक्ति के साथ आप 30मिनट उसी कमरे में बिता रहे हैं तो काफी वायरस लोड हुआ,अब इस वायरस के लिए शरीर को ज्यादा मात्रा में एंटीबॉडी बनानी होगी, यानि अचानक से शरीर पर एंटीबॉडी बनाने का भार बहुत ज्यादा पड़ेगा यानि ऑटो इम्यून डिसॉर्डर के चांसेज बढ़ जाते हैं और हम फिर जूझते है बीमारियों से । मैं जीव विज्ञान का छात्र भी रहा हूं तो यूं  विज्ञान की भाषा में समझे तो जब इम्‍यून सिस्‍टम के साथ कुछ गलत होता है और ये खुद ही अपनी स्‍वस्‍थ कोशिकाओं पर हमला करना शुरु कर देता है तो इसे ऑटोइम्‍यून रिस्‍पॉन्‍स कहा जाता है । सरल शब्दों में बोलूं तो यूं समझिए कि एक अच्छी इम्युनिटी का व्यक्ति जब कोविड से प्रभावित होता है तो उसे लक्षण नहीं दिखाई देते हैं लेकिन अचानक से ऑटो इम्यून डिसॉर्डर होते ही व्यक्ति तीसरे या चौथे दिन में दम तोड़ देता है ।
                 आप अपने समाज में किसी स्वस्थ व्यक्ति को जो कोविड से मृत हुआ है देख रहे सम्भवतः वो इसिका परिणाम  हैं ,ये शोध का विषय भी है । अब सोचिए कि यही अनजान कोविड पॉजिटिव आपको किसी खुले स्थान में मिलता है तो आपको वायरल लोड वन डबलू से भी कम मिलेगा यानि आप इन्फेक्टेड तो होंगे लेकिन आपका शरीर वन बी से भी कम मात्रा में एंटीबॉडी बनाएगा जो शायद आपको पता भी ना चले। जब इटली, स्पेन ने खुले आसमान में इलाज करना शुरू किया तो हम भारतीय सबसे ज्यादा हल्ला मचाए कि वहां के हॉस्पिटल में जगह नहीं बची है, ऐसा नहीं था इटली की स्वास्थ्य व्यवस्था सम्पूर्ण विश्व में नम्बर एक पर है और आज के भारत से ज्यादा वेंटिलेटर वहां मौजूद हैं लेकिन उन्हें वायरल लोड समझ में आ गया और एक महत्वपूर्ण बात यह भी है कि जिसका एक्सपोज़र कोविड के सामने सबसे ज्यादा है यानि डॉक्टर/नर्स/वार्डवॉय वो वायरल लोड कम होने की वजह से बच गए या कम मरे अन्यथा भारत में कोरोना वारियर्स की मृत्यु दर विश्व में सर्वाधिक होती जो कि बंद कमरे के अस्पताल की वजह से संभावित है । एक कोविड विशेषज्ञ  के साथ दो घंटे बैठकर बात करने के बाद लिख रहा हूँ ताकि हम सभी का भला हो" जो भी इस अख़बार से जुड़े है , अथवा पढ़ते है ,तो मुद्दा यह है कि कोविड पॉजिटिव तो हम सभी को होना ही है लेकिन ज्यादा देर वायरस के सम्पर्क में आने से बचिए, इम्युनिटी पर विचार करना छोड़िए, गैदरिंग से बचिए, स्वस्थ रहिए ।
                 राम मंदिर हेतु चन्दा देने का सिलसिला अंतिम चरण में  है इसलिए आप सब निश्चिंत रहें ,वैसे तो मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कह ही दिया है कि इसका भी हाल विश्व प्रसिद्ध इमारत हागिया सोफिया जैसा होगा, लेकिन इसके लिए पर्सनल लॉ बोर्ड को भारत में रजब तैयब एर्दोगान जैसे राष्ट्रपति बनने का इंतजार करना होगा । फिलहाल तो मोदी का राज है और दूर तक कोई विकल्प दिखता नहीं  , इसलिए बोर्ड को अपनी सारी उर्जा बचा कर रखनी चाहिए क्योंकि मेरे जैसे पत्रकार और जनसेवक  अब भी मास्क और आपसी दूरी को लेकर जागरूक है और सबसे वैक्सीन लगवाने की अपील करता हूं ।  खैर आज मै दूसरी बात नहीं करने वाला हूं ,केवल ये कि अब रिप्ड जींस पहनने और ना पहनने की सोच  से ऊपर उठें , देश संकट में है करोना रोगियों की संख्या दोबारा इस साल भी हजारों पार कर चुकी है । कल देश में एक दिन में  हजारों नए केस मिले  । पिछले15 दिन से हर जिले में  रोज ही सौ ,दो सौ के करीब नए मरीज मिल रहे हैं , इसमें संक्रमित होने वालों की गिनती बेमानी है । अगले एक महीने में किसी दिन एक दिन में दस हजार नए संक्रमित मरीज मिल जाएं तो हैरत मत कीजिएगा, इसमें मैं भी हो सकता हूं और आप भी तो चिन्ता इसकी कीजिए की हम कितने लापरवाह हुए है लॉक डाउन खत्म होने के बाद से, दूसरी बात जिस पर मीडिया और देश मासूम जनता का ध्यान बिलकुल नहीं है  वो ये कि चुनावी सभाओं में करोना क्यू नही जाता इसपर शोध होना ही चाहिए ।

 

_____ पंकज कुमार मिश्रा
 एडिटोरियल कॉलमिस्ट
 शिक्षक एवं पत्रकार 
 

 

 


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