नाम ही काफी है असर छोड़ने को ! _________
20-05-2021 02:14:42 PM
अजीब सा हास्यास्पद नामकरण करते रहते है राजनीतिक नियुक्त चापलूस । भारत में सर्वाधिक राजनीति नामकरण के आगे पीछे घूमती है । आजकल भारत में पप्पू शब्द सर्वाधिक प्रचलित शब्दो में से एक है । वैसे तो यह नाम हमारे देश के कई भाइयों का होगा और मेरा उद्देश्य कहीं से यह नहीं कि उनका मजाक बानाया जाय अथवा उन्हें मानसिक ठेस पहुंचाई जाए । पप्पू शब्द भारतीय राजनीति ज्ञानकोष में हास्य का शीर्ष पद माना जाता है । जैसे ही यह प्यारा शब्द आप उच्चारित करेंगे ,लोगो के कोपल और अधरों से मुस्कान फूट पड़ती है । मां अपने बेटों का नाम पप्पू इसलिए रखती है कि उनका स्नेह लाड़ सब खुशियों के आधार पर बच्चे को प्रसन्न बनाएं रखें । अब बात करते है इस लेख कि सार्थकता पर, यहां पप्पू शब्द इसलिए फेमस हो रहा कि बिहार के एक व्यक्ति है पप्पू यादव जो गिरफ्तार हुए है पुलिस ने गिरफ्तार भी इसलिए किया की लॉक डाउन में बाहर घूमते मिलते रहे । आज के दौर में सड़कों पर एक एक सिक्के का चंदा इक्कठा करने वाला शक्श जब चार बार विधायक बना तो बिहार के राजनीति की सरगर्मी ऐसे ही बढ़ गई थी । एक नही, दो नही, बल्कि ऐसे ही चंदे बटोरकर चार बार विधायक बने अजीत सरकार की अचानक हत्या कर दी गई ।
हत्या का आरोप उस वक्त के तीन बाहुबली नेताओ पर लगा । पप्पू यादव उन तीनो में से ही एक हैं, जिन्हे इस हत्या के लिए 8 वर्ष जेल काटने पड़ें ।आठ वर्ष बाद पप्पू को पटना हाईकोर्ट ने इस केस में बरी कर दिया ।क्यों ? क्युकी सबूत नही जुटें ! उधर बिहार में पप्पू गिरफ्तार हुआ लेकिन इस मामले में नही, बल्कि लॉकडाऊन उल्लंघन का मामला है ।
रिपोर्ट आई कि ये गिरफ्तारी लॉकडाउन उल्लंघन के लिए भी नही, बल्कि 32 साल पुराने किसी केस में हुई है।चा हे मामला जो भी हो पर मुझे भी लगता है ये गिरफ्तारी जायज है ।जायज है क्युकी सरकार के निक्क्मेपन की वजह से जब पूरा बिहार बाढ़ में डूब रहा था । तब क्विंटल वजन का यह शक्श गिरते पड़ते लोगो तक रोटियां पहुंचा रहा था ताकि कोई बाढ़ से बचकर भूख से न मर जाए ।अच्छा होता यदि हाफ पैंट पहनकर राहुल बाबा की तरह हीं पप्पू यादव भी मुंह चुराकर दिल्ली भाग गया होता ।ये गिरफ्तारी जायज है क्युकी जब सरकार के अनियोजित लॉकडाउन से परेशान हो हजारों किलोमीटर दूर से दिहाड़ी मजदूर गर्म सड़कों पे पैदल घर लौट रहे थे तब ये शक्श उनके लिए बसें भिजवाने की परमिशन मांग रहा था ।अच्छा होता अगर मिनिस्टर साहब की तरह लॉकडाउन का पालन करते हुए पप्पू यादव भी घर बैठकर रामायण देख रहा होता । मैं तो खुलकर कहता हूं की ये गिरफ्तारी जायज है । जायज है, क्यूंकि जब बिहार में सबसे ज्यादा एंबुलेंस की जरूरत सारण को है और सांसद निधि से मंगाए गए एंबुलेंस ड्राइवर के अभाव में बंद पड़े हैं तब ये कुबुद्धि पप्पू ड्राइवर देने की जिद कर रहा है । जबकि, यहां भी पप्पू यादव को एंबुलेंस से बालू मंगाने वाले सांसद साहब के महाकर्म पे खामोश रहने की जरूरत थी ।एक के बाद एक समस्याएं आती गई, और ये अपराधी, बाहुबली, हत्यारा पप्पू यादव जनता की मदद करता गया । फिर 32 साल पुराने मामले हो या 64 साल पुराने, अब सरकार घबरा चुकी है । लोकसभा चुनाव से लेकर विधानसभा चुनाव तक हारे इस नेता से सरकार हार चुकी है ।हो सकता है बतिस साल पुराने मामले में भी बाइस साल पुराने मामले की तरह अदालत इस शक्स को बरी करती है तो आलम ऐसा है की इसे गर्भकाल के दौरान मां के पेट में लात मारने को लेकर जेल में बंद रक्खा जाएगा ।तुम कहते हो - पप्पू हत्यारा था, अपराधी था या कुकर्मी था ।कोर्ट कहता है इसका कोई सबूत नही ।मगर इस बात का तो सबूत है की बाढ़ में, चमकी बुखार में और लॉकडाउन में जब जनता के द्वारा चुने गए सांसद और विधायक चैन की नींद सो रहे थे तब विधानसभा और लोकसभा चुनाव में भी हारा एक शक्श हर तरह से लोगो की मदद कर रहा था ।
-- पंकज कुमार मिश्रा एडिटोरियल कॉलमिस्ट शिक्षक एवं पत्रकार केराकत जौनपुर ।
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