परमवीर पिरु सिंह के अदम्य साहस के आगे दुश्मन घुटने टेकने को मजबूर हुए
17-07-2020 11:14:44 AM
18 जुलाई 1948 को 6 राजपूताना राइफल्स के सी एच एम पीरू सिंह को जम्मू कश्मीर के तिथवाल में शत्रुओं द्वारा अधिकृत एक पहाड़ी पर आक्रमण कर उस पर कब्ज़ा करने का काम सौंपा गया। हमले के दौरान उन पर एम एम जी से भारी गोलीबारी की गई और हथगोले फेंके गए। उनकी टुकड़ी के आधे से अधिक सैनिक मारे गए या घायल हो गए। सी एच एम पीरू सिंह ने अपने बचे हुए जवानों को लड़ाई जारी रखने के लिए प्रेरित किया और घायल होने के बावजूद दुश्मन के एम एम जी युक्त दो बंकरों को बर्बाद कर दिया। अचानक उन्हें पता चला कि उनकी टुकड़ी में इकलौते वे ही जीवित बचे हैं। जब दुश्मनों ने उन पर एक और हथगोला फेंका, वे लहुलुहान चेहरे के साथ रेंगते हुए आगे बढ़े और अंतिम सांस लेने से पहले उन्होंने दुश्मन के ठिकाने को नष्ट कर दिया। उत्कृष्ट वीरता तथा अदम्य शौर्य का प्रदर्शन करने और सर्वोच्च बलिदान देने के फल स्वरूप कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह को मरणोपरांत परम वीर चक्र से सम्मानित किया गया।
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