बांग्लादेश में आत्म रक्षा के लिए एक होकर सामने आये सनातनी: चिन्मयानंद
28-09-2024 10:17:50 PM
साभार:कैलाश सिंह की वॉल से -
बांग्लादेश में आत्म रक्षा के लिए एक होकर सामने आये सनातनी: चिन्मयानंद
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-कैलाश सिंह-
राजनीतिक संपादक
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-सनातन संस्कृति कभी मूल को परिवर्तित नहीं करती है l सनातन अजन्मा है, इससे निकलने वालों ने विभिन्न जाति, समुदाय के रूप में धर्मों का नाम देकर राजनीतिक स्वार्थ पूर्ति के लिए जैसे अकबर ने 'दीन ए इलाही' चलाया', उसी तरह लोग सनातन से अपने को अलग करके खुद को मिटाने का काम निरंतर करते आए हैं, इसी का परिणाम है दुनिया के तमाम देशों में हो रहा युद्ध, सही मायने में यह लडाई सनातनी व गैर सनातनी के बीच हो रही है l
-अयोध्या मामलों में अगुआ रहे स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती ने 1990 के दशक में गंगा सागर से प्रयागराज तक करीब बीस दिन गंगा निर्मलीकरण के लिए विहिप के संयोजन में ' निर्मल गंगा- अविरल गंगा' के नारे के साथ की थी यात्रा, बांग्लादेश में वहाँ की संस्कृति, सभ्यता को समझने के लिए एक महीने तक किया था प्रवास, तब महसूस किया कि पाकिस्तान से अलग होकर अपना देश बनाने वालों ने जो युद्ध किया वह दरअसल बंगाली सनातनी रहे जो गैर सनातनियों से लड़े, वहां की वर्तमान अंतरिम सरकार भी गैर सनातनी है जिसके सामने आत्म रक्षा के लिए सनातनी एकजुट होकर प्रदर्शन को आगे आये l
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लखनऊ/शाहजहाँपुर(तहलका विशेष)l संन्यास ग्रहण करने वाला हर व्यक्ति सनातन संस्कृति का प्रवर्तक हो जाता है l उसे यह बात अंतर्मन से समझ आ जाती है कि आदिकाल से अजन्मा यानी प्रकृति प्रदत्त हवा, पानी, धरती, सूर्य आदि की तरह सनातन संस्कृति भी है l इसी से जुड़ी हिंदू संस्कृति है, जबकि इससे निकलकर मुस्लिम, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध आदि को मानने वाले अलग समुदायों में बंटकर 'इनमें से तमाम समुदाय' गैर सनातनी बनते गए l सनातन दरअसल परिवर्तन- बदलाव की मांग नहीं रखता है, वह तो इंसान को समरसता से जीने के लिए राह प्रदान करता हैl यही कारण है कि भारत कभी किसी देश या संस्कृति पर हमला नहीं करता है l जब भी इसे युद्ध लड़ना पड़ता है तो वह अपनी सुरक्षा के लिए होता हैl हाल ही में प्रधान मन्त्री नरेंद्र मोदी ने इजराइल- हमास या रूस- युक्रेन आदि देशों में हो रहे युद्ध को सनातन के विरुद्ध माना l इसी बात का समर्थन पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मन्त्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती भी करते हैं l
वर्ष 90 के दशक में एक महीने तक बांग्लादेश में प्रवास के दौरान स्वामी चिन्मयानंद ने महसूस किया कि यहाँ के पहले राष्ट्राध्यक्ष शेख मुजीबुर्रहमान ने गैर सनातनी पाकिस्तान से बंगालियों के लिए लड़कर नया देश स्थापित किया l यहाँ के बंगाली चाहे किसी भी कथित धर्म को मानते हों लेकिन वह गो माँस भी नहीं खाते l उन्हीं की बेटी शेख हसीना सनातन संस्कृति की रक्षक हैं और राष्ट्रवादी हैं, जिन्हें देश में तख्ता पलट के बाद पूरी सुरक्षा से भारत लाया गया, अन्य किसी देश ने उन्हें शरण नहीं दी लेकिन भारत उन्हें बांग्लादेश की प्रधानमंत्री मानते हुए सुरक्षा और सम्मान दे रहा है l क्योंकि भारत उन्हें अपदस्थ नहीं मानता है l शेख हसीना ने न तो इस्तीफा दिया है और न ही उन्हें संवैधानिक तरीके से हटाया गया है, जाहिर है वह आज़ भी बांग्लादेश की प्रधान मंत्री हैंl तभी तो वहाँ अंतरिम सरकार चल रही है l इनके भारत आने के दौरान वहाँ उपद्रव करने वाले गैर सनातनियों के खिलाफ़ बंगाली सनातनी जब एकजुट होकर प्रदर्शन करने लगे तब वहां की स्वयंभू केयर टेकर सरकार ने घुटने टेक दिए l
स्वामी चिन्मयानंद ने 'तहलका' से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि सनातन को मिटाने वाले खुद मिट जाते हैं l जैसे पाकिस्तान अपनी ही आग में झुलस रहा है l अफगानिस्तान से सनातनियों को भगाकर वहाँ तालिबानियों ने कब्जा तो कर लिया है लेकिन वह खुद मिट रहे हैं l जैसे 'धरती एक और आदि' है, वैसे ही सनातन संस्कृति है l यह प्रकृति के साथ आई है और उसी की तरह कायम रहेगीl,,,,,,, क्रमशः
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