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जनपदवासी प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह की पुस्तक का हुआ लोकार्पण

07-06-2025 06:22:30 PM

 


छत्रपति शिवाजी के अनुरूप सशक्त, समर्थ भारत बनाना ही हमारा लक्ष्य- ज्योतिरादित्य सिंधिया

जौनपुर। जनपद के भाटाडीह गांव निवासी मछली शहर क्षेत्र के प्रो. ओम प्रकाश सिंह की पुस्तक हिंदवी स्वराज के संस्थापक छत्रपति शिवाजी पुस्तक का लोकार्पण शुक्रवार को नई दिल्ली में केन्द्रीय संचार और पूर्वोत्तर विकास मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने  किया। यह पुस्तक सुरूचि प्रकाशन द्वारा प्रकाशित की गई है जिसका सम्पादन प्रो. ओम प्रकाश सिंह और देवेन्द्र भारद्वाज ने किया है। 

लोकार्पण समारोह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मुख्यालय ‘केशव कुंज’ में स्थित विचार विनिमय केन्द्र के सभागार में हुआ।
गौरतलब है कि मदन मोहन मालवीय हिंदी पत्रकारिता संस्थान के पूर्व निदेशक प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह इलाहाबाद विश्वविद्यालय के कार्य परिषद सदस्य  है।
 प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह 3 दशक से  अधिक समय तक शिक्षण, शोध और लेखन कार्य से जुड़े रहे और उनके पढ़ाए हुए विद्यार्थी देश के विभिन्न मीडिया संस्थानों और विश्वविद्यालय में पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना योगदान दे रहे हैं। प्रोफेसर ओम प्रकाश सिंह को उनकी पुस्तक संचार के मूल सिद्धांत पर भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय का भारतेंदु हरिश्चंद्र सम्मान मिल चुका है। प्रो सिंह  देश के जाने-माने संचारविद है।

पुस्तक में वर्णित इतिहास को बहुत उपयोगी बताते हुए केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने ओजस्वी भाषण में कहा कि उन्हें गर्व है कि उनके वंशज भी मराठा संघर्ष में शामिल हुए थे और देश के लिए अपना बलिदान दिया था। छत्रपति शिवाजी के गौरवशाली इतिहास के कुछ प्रसंगों को साझा करते हुए सिंधिया ने कहा कि उन्होंने गोरिल्ला युद्ध से लेकर विश्व की सबसे पहली नौसेना का गठन किया। शिवाजी महाराज का उद्देश्य केवल अपना साम्राज्य स्थापित करना नहीं था, बल्कि भारत को आत्मनिर्भर, एकजुट और स्वाभिमानी राष्ट्र बनाना था। ‘हिन्दवी स्वराज’ की स्थापना भी इसी उद्देश्य से की गई थी। उद्देश्य था कि निर्धन से निर्धन व्यक्ति की भी देश के सम्राट तक पहुंच बन सके और उसे भी न्याय मिल सके।

समारोह को संबोधित करते हुए संघ की अखिल भारतीय प्रचार टोली के सदस्य मुकुल कानिटकर ने कहा कि स्वाधीनता और स्वतंत्रता दो अलग शब्द हैं। किसी की अधीनता से मुक्ति स्वाधीनता है और अपने आदर्शों, परम्पराओं और जीवन मूल्यों के आधार पर अपना तंत्र विकसित करना स्वतंत्रता है। छत्रपति शिवाजी महाराज ने आज से साढ़े तीन सौ साल पहले ‘हिन्दीवी स्वराज’ की स्थापना कर भारत के स्वतंत्र होने की आधारशिला रख दी थी। हम अपने ऐसे पूर्वजों का स्मरण कर हमेशा याद रखें कि भारत का इतिहास सदैव संघर्ष का इतिहास रहा है।


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